रोजाना24,चम्बा : डलहौजी भरमौर के रिहायशी क्षेत्र में भालुओं के दखल की वजह ने चौंका दिया शोधकर्ताओं को.
भालू व मानव के बीच हो रहे टकराव का पता करने के लिए वन्य प्राणी विश्वविद्यालय देहरादून के शोधकर्ता नीतिन भूषण,अर्णव चट्टर्जी पिछले एक साल से चम्बा जिला के वन्य प्राणी संरक्षित क्षेत्र कुगति,तुन्दाह व डलहौजी के जंगलों में भालुओं के व्यवहार पर शोध कर रहे हैं.
अपने शोध कर्ताओं में इन वैज्ञानिकों ने पाया है कि स्थानीय लोगों की लापरवाही के कारण भालू रिहायशी क्षेत्रों में पहुंच रहे हैं.डॉ नितिन भूषण ने बताया कि भरमौर,चम्बा व डलहौजी में होटल,रेस्तरां व ढाबों का जूठा व बचा हुआ खाना खुले में फेंका जा रहा है.जिसकी गंध से भालू रिहायशी क्षेत्रों की ओर आकर्षित हो रहे हैं.उन्होंने बताया कि केवल डलहौजी बणीखेत क्षेत्र में करीब 60 ऐसे डम्पिग स्थल चिन्हित किए गए हैं जहां जूठा व बासी खाना खुले में फेंका जा रहा है.और भालू इसे खाने के लिए पहुंच रहे हैं.ऐसे में यह आसपास लोगों की उपस्थिति को भी दरकिनार कर रहे हैं.
गौरतलब है कि डलहौजी के लकड़मडी,कालाटोप,पंजपुला,सुभाष चौक से बनीखेत तक व्यवसायिक संस्थान बचा हुआ खाना खुले में या कूड़े दानों मैं फेंक रहे हैं.इनमें बोर्डिंग स्कूलों के आसपास भी यही हालत है.जोकि भालुओं के व्यवहार को परिवर्तित कर रहा.
उन्होंने कहा कि भरमौर क्षेत्र में स्थिति कुछ अलग तरह की है.यहां भालू सेब,मक्का की फसल पकने के बाद सक्रिय हो रहे हैं इसके अलावा भेड़ बकरियों के रेवड़ के आसपास भी भालू रेकी कर रहे हैं.भरमौर क्षेत्र में भालू पालतु भेड बकरियों,फसलों व पन आटा चक्कियों में खाना ढूंढ रहे हैं.जिस कारण सामना होने पर लोगों के साथ भी मुठभेड़ हो जाती है.
कुगति घाटी में काले भालू के साथ ही लोगों के संघर्ष की घटनाएं सामने आई हैं क्योंकि इस वन्य क्षेत्र में लोगों का हस्तक्षेप ज्यादा है.स्थानीय लोगों के बजाए अब इस क्षेत्र में पर्यटकों का हस्तक्षेप भी बढ़ गया है.पर्यटकों द्वारा छोड़ी गई खाद्य सामग्री भी भालू को आकर्षित कर रही है.
नितिन भूषण ने कहा कि तुन्दाह वन्य क्षेत्र में मानव व भालू के बीच संघर्ष की घटनाएं न के बराबर ही हैं.
शोधकर्ताओं ने भालुओं के मल के नमूने एकत्रित कर उनके खाने में शामिल चीजों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है.उन्होंने कहा कि शोध का यह अभी यह पहला चरण है.
उन्होंने कहा कि भालुओं की पहुंच वाली जगहों पर कैमरे से निगरानी की जाएगी. ताकि भालुओं की संख्या व उनके क्षेत्र का भी पता चल सके.
उन्होंने हॉटल,रेस्तरां,बाबा मालिकों व शिक्षण संस्थानों से अपील की है कि भालुओं को प्राकृतिक माहौल में ही रहने दें. वे खाद्य सामग्री को कूड़ेदानों व खुले में न फैंकें यह वन्स प्राणियों के व्यवहार मैं बदलाव ला रहा है जोकि आगामी समय में लोगों के लिए ही घातक सिद्ध हो सकता है.