रोजाना24,चम्बा : भरमौर क्षेत्र में भेड पालक भेड़ों की ऊन उतारने के लिए मशीनें उपलब्ध न होने के कारण परेशान हैं.करीब एक माह से ऊन उतारने के लिए वूल फेडरेशन द्वारा उपलब्ध करवाई जाने वाली मशीनों के इन्तजार में भेड़ बकरियों को चारा वहीन क्षेत्र में रोके रखने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.भरमाणी मंदिर के पास ऊन उतारने के लिए मशीनों का इंतजार कर रहे भेड़ पालकों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन के मैनेजर को वे एक माह से फोन करके जल्द मशीने उपलब्ध करवाने की मांग कर रहे हैं लेकिन उनकी मांग को अनसुना कर दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि ऊन उतारने की मशीनों के इंतजार में वे भरमौर क्षेत्र की विभिन्न चारागहों का चारा भी चरा चुके हैं.जिस कारण बहुत से भेड पालक भेड़ों की ऊन उतारे बिना कुगति धार की ओर भी बढ़ गए हैं.उन्होंने वूल फेडरेशन के अधिकारियों व सरकार से मांग की है कि उनकी सहायता के लिए जल्द कार्यवाही की जाए.
इस वर्ष भरमौर क्षेत्र में ऊन उतारने के कार्य में काफी देरी हुई है.जिस पर फेडरेशन के उच्च अधिकारियों को उचित जबाव देते नहीं बन रहा.फैडरेशन के कंटरोलिंग अधिकारी प्रबंधक दीपक सैनी ने लेटलतीफी के कारण स्वंय को भेडपालकों व सरकार के निशाने पर आते देख कहा कि इसके लिए प्रबंधन निदेशक जबावदेह हैं.
वहीं फेडरेशन के अधिकारी हंसराज ने कहा कि आगामी दो दिनों में भरमौर व गरीमा के लिए दो युनिट मशीनें पहुंचा दी जाएंगी.उन्होंने कहा कि भेड़ पालकों की समस्या के समाधान के लिए वे तुरंत समाधान कर रहे हैं.उन्होंने बताया कि ग्रीमा व भरमाणी में ऊन उतारने के बाद फेडरेशन की यह टीमें अन्य स्थानों पर ऊन उतारने जाएंगी.
इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश में आमतौर पर भेड़ों से एक वर्ष में दो बार ही भेड़ों से ऊन उतारी जाती है.लेकिन भरमौर में तीन बार ऊन उतारने की परम्परा है.लेकीन यह तकनीकी रूप से उचित नहीं है.क्योंकि वर्ष में तीन बार ऊन उतारे जाने के कारण इसकी की लम्बाई कम रहती है.जिससे ऊन का पूरा मुल्य भी भेड़ पालकों को नहीं मिल पाता.