रोजाना24,चम्बा :सेब भूमि के नाम से विख्यात भरमौर क्षेत्र में इस वर्ष प्रकृति ने ऐसा तांडव खेला है कि सात वर्ष से बीस वर्ष तक की आयु वाले सेब के पेड़ टूट गए.सैकड़ों बागवानों के हजारों पौधे जमींदोज हो चुके हैं.उद्यान विभाग इस नुक्सान के आकलन में जुटा है.बागवानों को आस है कि विभाग या प्रशासन बड़े स्तर पर उनकी आर्थिक सहायता करेगा.इसलिए बागवान एक माह से खेतों में पड़े सेब के पौधों को जांच टीम को दिखाने के लिए सबूत के तौर पर रखे हुए हैं.जबकि कुछ बागवानों ने तो सेब के पेड़ों को काटकर इंधन की लकड़ी के लिए एकत्रित कर लिया है.
बागवान सेब के पेड़ से भावनात्मक रुप से जुड़ा होता है.क्योंकि इन पौधों को उन्होंने अपने हाथों से रोप कर बड़ा किया होता है.चूंकि बागवानों की सालाना रोजी रोटी भी सेब की पैदावार पर निर्भर करती है इसलिए बागवानों सेब टूटने पर व्यथित होना स्वभाविक है.
क्षेत्र के बागवान पवन कुमार बताते हैं कि उन्हें अभी यह पता भी नहीं है कि प्रशासन या विभाग उन्हें कितनी व किस प्रकार राहत प्रदान करेगा.इसलिए वे गिरे हुए सेब पौधों को न तो सीधा कर पा रहे हैं व न ही टूटे पेड़ों को काट पा रहे हैं.जबकि विनोद कुमार का कहना है कि उनके बगीचों में बड़े स्तर पर नुक्सान हुआ है अगर वे समय रहते टूट चुके पौधों की कटाई छंटाई नहीं करेंगे तो बचे खुचे पौधे भी खराब हो जाएंगे.इसलिए उन्होंने व अन्य बागवानों ने टूटे सेब के पेड़ों को काटकर ईंधन के लिए एकत्रित करना शुरू कर दिया है.
सेब के कटे डेरों को देखकर बागवानों की आंखें डबडबा रही हैं लेकिन विवश बागवान और कुछ कर भी नहीं पा रहे.कल तक जिन पौधों से वे हजारों रुपये कमा कर परिवार का भरण पोषण कर रहे थे आज उन्हें वे चूल्हे में जलाने को मजबूर हैं.
बागवानों ने प्रशासन से मांग की है कि जब तक कि विभाग नुक्सान का आकलन कर पाता है तब तक बागवानों को स्पष्ट दिशा निर्देश दिए जाएं.
उद्यान विभाग के वस्तु विषय विशेषज्ञ डॉ एसएस चंदेल बताते हैं कि विभाग ने सेब के हुए नुक्सान का आकलन करना शुरू कर दिया है.काम खत्म करने के बाद बाद वे इसकी रिपोर्ट प्रशासन को सौंप देंगे.
वहीं इस बारे अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी पृथीपाल सिंह का कहना है कि विभाग से रिपोर्ट मिलने के बाद राहत के लिए बने नियमानुसार बागवानों की सहायता की जाएगी.उन्होंने कहा कि बागवान बचाए जा सकने वाले पौधों को बचाने व टूट चुके पेड़ों की कटाई छंटाई कर सकते हैं ताकि आगामी फसल खराब न हो.वे जांच टीम को वस्तुस्थिति से अवगत करवा दें.
प्रशासन बागवानों को किस मद से सहायता देता है यह तो बाद में पता चलेगा लेकिन राजस्व विभाग के अनुसार एक बीघा भूमि में हुए नुक्सान के एवज में पांच सौ रुपये की सहायता का प्रावधान है.अगर प्रशासन इसी पैमाने के अनुसार सहायता जारी करता है तो बागवानों को बड़ा झटका लग सकता है.