रोजाना24,चम्बा : होली विशेष
गद्दी समुदाय में एक ही त्योहार को अलग अलग तरीके से मनाए जाने की परम्पराएं हैं.एक ओर जहां होली के त्योहार पर भरमौर मुख्यालय के आसपास के लोगों ने ब्रज की होली की तर्ज पर रंगों की होली खेली तो दूसरी ओर इसी इसी उपमंडल के दूसरे भाग में होली के अवसर पर ‘हरणातर‘ निकाल कर इसे मनाया गया.ग्राम पंचायत जगत स्थित चामुंडा माता मंदिर से हरणातर का शुभारम्भ किया गया.हरणातर की इस टोली ने ग्राम पंचायत जगत व रुणुहकोठी के थपला,जगत,भटाड़ा,लघौता,मसोड़,सामरा,रुणुहकोठी आदि गांवों में जाकर ‘हरनोटा‘ गाया.
“हरणा रै सिंग सहौणै,जिइयां मोती रै दाणै.
बाहर निकला ओ घर मोहियो,असु गाहणा दुरेडै.
तुसू लोका जो लगदिया खेला,असां होईयां बेला.”
इन बोलों के साथ हरनोटे की टोली में शामिल पांच चंदरोली, व मुखौटे पहने ‘बुढ्ढा, बुढ्ढी व रौलू’ का किरदार करने वाले स्थानीय लोग घर घर से हरनोटा एकत्रित करते हैं.आज शाम हरणातर की यात्रा वहीं चामुंडा माता मंदिर में जाकर समाप्त हो गई जहां लोगों ने होलिका दहन के साथ शिवरात्रि के दौरान भगवान शिव के साथ पहुंचने वाले भूत प्रेतों को अपने घरों में प्रवेश करने से रोकने के लिए लगाए गए दैवीय गुणों वाले पौधों के कांटों को भी जला दिया गया.
हरनोटा समिति सदस्य बाली राम शर्मा बताते हैं कि हरणातर गद्दी समुदाय की प्राचीन परम्पराओं में से एक है लेकिन आज यह मात्र कुछ एक गांवों तक सीमित होकर रह गया है.आलम यह है कि साठ की आयु पार कर चुके गद्दी समुदाय का बहुत बड़ा वर्ग हरणातर के बारे में अनभिज्ञ है.उन्होंने कहा कि विकास व आधुनिकता अपनी जगह रही हो सकते हैं लेकिन कुछ परंपराएं हमारी पहचान हैं जिन्हें बचाया रखना हमारी जिम्मेदारी है.