जांच समितियों ने पड़ताल के बाद कई विकास कार्यों को ‘ओके’ करार दे दिया है.समिति की रिपोर्ट प्रशासन के गले भी नहीं उतर रही है.क्योंकि जिन विकास कार्यों की गुणवत्ता पर लोग अंगुली उठाते रहे हैं उन्हें कनिष्ठ अभियंताओं की टीम ने क्लीन चिट देकर प्रशासन की भवें तना दी हैं.ग्राम पंचायत उलांसा में 35 हजार की लागत से बने पनिहार व आयुर्वेदिक औषधालय परिसर में 1.60 लाख की लागत से हुए ग्रिल कार्य पर लोगों ने फिर प्रश्न उठाए हैं.लोगों का कहना है कि जांच कमेटी ने किस प्रकार कार्यों की जांच व पैमाईश की है उन्हें समझ नहीं आया.
वहीं कुछ अन्य पंचायतों में जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए लोगों का कहना है कि जांच टीम के साथ तकनीकी सहायक ही मौजूद नहीं थे तो विकास कार्यों के पैमाईश रिकॉर्ड के अभाव में जांच टीम ने मात्र कार्यों का निरीक्षण करने तक ही सीमित रही.ऐसे में प्रश्न यह सामने आ रहे हैं कि विकास कार्य निर्धारित मापदंड पर ही हुए हैं जांच कमेटी यह कैसे साबित कर पाती.अब तक हुई जांच पर लोगों ने सवाल खड़े करना शुरू कर दिया है.
इस संदर्भ में अतिरिक्त जिलादण्डाधिकारी पृथी पाल सिंह ने कहा है कि यह जांच मात्र विकास कार्यों की गुणवत्ता की ही नहीं अपितु जांच कार्य में शामिल कर्मचारी अधिकारियों की कर्तव्यनिष्ठा की भी है.उन्होंने कहा कि व यह जांच अंतिम नहीं है बल्कि इसमें अभी अक्रमत: जांच भी की जाएगी.जांच मैं अगर जांच टीम दोषी पाई गई तो उन्हें सस्पेंड किया जाएगा व विकास कार्यों मैं अनियमिताओं के लिए जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी.उन्होंने कहा कि यह जांच कोई औपचारिकता नहीं बल्कि क्षेत्र में विकास कार्यों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कड़ा नियम है जिससे अब सबको गुजरना ही होगा.