रोजाना24,चम्बा :- 22 से 24 सितम्बर को हुई भारी बरसात ने जहां पूरे हिमाचल में तबाही मचाई है वहीं भेड़ पालन व्यवसाय के केंद्र भरमौर क्षेत्र के भेड़ पालकों के लिए यह लौटता मानसून बरबादी का कारण बन गया.इस दौरान हुए भूसख्लन के कारण भरमौर क्षेत्र के विभिन्न भागों के सात भेड़ पालकों की 422 भेड़ बकरियां मारी गईं हैं.यह आंकड़ा मात्र उन्हीं भेड़ बकरियों व भेड़ पालकों का है जिन्होंने भेड़ विकास विभाग या प्रशासन के पास नुक्सान की जानकारी दर्ज करवाई है.इससे इतर अभी भी बहुत से ऐसे लोग हो सकते हैं जिन्होंने अपने पशुधन के नुक्सान की जानकारी प्रशासन को नहीं दी है.ऐसी पंचायतों में कुगति,बड़ग्रां व बजोल के पशु पालक हो सकते हैं.क्योंकि इन पंचायतों के न तो सम्पर्क मार्ग दुरुस्त हुए हैं व न ही यहां मोबाइल नेटवर्क सुविधा है.ऐसे में लोगों को नुक्सान से अवगत करवाने का मौका तक नहीं मिला है.
इस बरसात में ग्राम पंचायत ग्रीमा के चलेड निवासी सुरजन व पूर्ण व ग्राम पंचायत प्रंघाला के जगदीश चंद की साठ भेड़ बकरियां हड़सर के पास डुंडा नामक स्थान पर भूसंख्लन में दब कर मर गईं.जबकि ग्राम पंचायत पूलिन के चूहड़ सिंह की 30 भेड़ बकरियां भूसख्लन में मारी गईं.पूलिन पंचायत के पालिन गांव के जोगिन्दर सिंह की दो भेड़ें मारी गईं.दियोल पंचायत के पाधी राम की 300 भेड़ बकरियों का पूरा रेवड़ ही भूसंख्लन में बह गया.ग्राम पंचायत उलांसा के सुलाखर निवासी पवन कुमार पुत्र पियूंदी राम की एक भेड़ मारी गई.तो ग्राम पंचायत चन्हौता के कथेड़ निवासी सरवण कुमार की 30 भेड़ बकरियां नाले के बहाव में बह गईं.जिस कारण इन भेड़ पालकों को भारी आर्थिक व मानसिक नुक्सान उठाना पड़ा है.जिन भेड़ पालकों ने अपने पशुधन के नुक्सान की जानकारी प्रशासन के पास भेज दी है उसके नुक्सान का आकलन तैयार हो चुका है.भेड़ विकास उप निदेशक सतीश कपूर ने कहा कि उनके पास जो जानकारी आई थी उसके अनुसार भेड़ पालकों को नुक्सान के एवज में सहयता राशी प्रदान करने के लिए कार्य पूरा कर लिया गया है.जिसकी जानकारी प्रशासन को भेज दी गई है.पीड़ित पशु पालकों को शीघ्र ही राहत प्रदान कर दी जाएगी.