पंचायत प्रधान सुलोचना कपूर ने कहा कि हर मेले की पूर्व रात्री शिव जागरण होंगे.आठ जागरण के बाद लोगों के मनोरंजन के लिए रात्री सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे.उन्होंने क्षेत्र के लोगों से मेले मे बढ़चढ़ कर भाग लेने की अपील की.
वर्षों पूर्व शुरू हुई इन ‘देवजातरों’ को देश भर में पहचान मिल चुकी है.मेले के मुख्य आकर्षणों में इसके रात्री के वक्त आयोजित होने वाले शिव जागरण व शाम के वक्त होने वाली जातर को देखने के लिए देश विदेश के लोगो एकत्रित होते हैं.जिसमें गद्दी महिला पुरुष अपने पारम्परिक परिधानों में नृत्य करने पहुंचते हैं.वहीं इस दौरान खेलों विशेषत: कुश्ती में भाग लेने के लिए उत्तरी भारत के बड़े बड़े पहलवान पहुंचते हैं.इन जातरों की विशेषता मात्र गद्दी संस्कृति से जुड़ी गतिविधियों तक ही सीमित नहीं बल्कि इसमें एक मेला जम्मु कश्मीर के भद्रवाह क्षेत्र के श्रद्धालुओं को समर्पित किया गया है.जिसमें भद्रवाही श्रद्धालु अपना पारम्परिक नृत्य कर अपनी संस्कृति की छाप छोड़ जाते हैं.हर रोज अलग देवी व देवता को समर्पित इन जातरों के प्रति लोगों का विशेष लगाव रहता है.इन मेलों को देखने के लिए भरमौर क्षेत्र के नौकरी पेशा लोग छुट्टियों का कोटा बचा कर रखते हैं.
आज 3 सितम्बर से शुरू हुई यह ‘देवजातरें’ 11 सितम्बर तक चलेंगी जबकि ‘न्हौण की जातर’14 सितम्बर को होगी.