रोजाना24,चम्बा -: गद्दी संस्कृति को बढ़ावा देने ग्राम पंचायत भरमौर ने अनूठी पहल की है.पंचायत ने फैसला लिया है कि जातरों के दौरान जो लोग गद्दी पहनावा चोली व नुआंचड़ी पहन कर चौरासी परिसर में पहुंचेगा उसे नकद ईनाम दिया जाएगा.
पंचायत प्रधान सलोचना कपूर ने कहा कि आधुनिकता की दौड़ में लोग अपनी संस्कृति,परम्परा,व वेश भूषा को भूल ते जा रहे हैं.आज युवा बुजुर्ग सब लोग अपनी गद्दी पहनावे से विमुख दिखते हैं.पारम्परिक पहनावा मात्र विशेष दिनों में पहनते हैं.उन्होंने कहा कि उनकी पंचायत अपनी गद्दी संस्कृति को विश्व में पहचान दिलाना चाहती है.चूंकि मणिमहेश यात्रा के दौरान देश विदेश के लाखों लोग भरमौर पहुंचते हैं लेकिन यहां पहुंच कर अक्सर उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि यहां गद्दी तो दिखते ही नहीं.इन पर्यटकों का गद्दी का तात्पर्य गद्दी वेशभूषा वाले लोग होता है.उन्होंने कहा कि गद्दियों का पहनावा पूरे देश भर के आकर्षक पहनावों में शुमार है.भरमौर गद्दियों का क्षेत्र है इसलिए यहां हर घर में उनके अपने चोली डोरा,नुआंचड़ी व अन्य आभूषण मौजूद हैं.लोगों को अपनी वेश भूषा के साथ घर से बाहर निकालने केे मकसद से पंचायत ने यह फैसला लिया है.उन्होंने कहा कि यह ईनाम मेले के दौरान हर रोज दिए जाएंगे इसके लिए कुछ आवश्यक नियम व निर्देश पंचायत द्वारा जारी किए जाएंगे.
उन्होंने कहा कि मेले के दौरान होने वाले गद्दी नृत्य के दौरान कला मंच पर मात्र उन्हीं लोगों को नृत्य करने की अनुमति होगी जोकि पारम्परिक वेशभूषा होंगे.संस्कृति व परम्परा को बचाने के लिए इस ड्रैस कोड को सख्ती से लागू किया जाएगा.
भरमौर पंचायत का यह निर्णय अगर असर कारक रहा तो इस वर्ष देश विदेश के लोग गद्दी परम्परा से अच्छी तरह से रूबरू हो सकेंगे.