भरमौर के गद्दीयों को फिर किया गया नजरअंदाज़, न रोड़, न स्वास्थ्य सुविधा, अब वूल फेडरेशन में भी नहीं मिली हिस्सेदारी

भरमौर के गद्दीयों को फिर किया गया नजरअंदाज़, न रोड़, न स्वास्थ्य सुविधा, अब वूल फेडरेशन में भी नहीं मिली हिस्सेदारी

भरमौर। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र भरमौर के गद्दी समुदाय को एक बार फिर से उपेक्षा का सामना करना पड़ा है। वर्षों से सड़क, स्वास्थ्य सेवाओं और जल आपूर्ति जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी झेल रहे इस क्षेत्र को अब हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन में भी प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। सरकार ने हाल ही में वूल फेडरेशन में नए सदस्यों की नियुक्ति की, लेकिन भरमौर को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया।

वूल फेडरेशन में शामिल हुए अन्य क्षेत्रों के सदस्य

प्रदेश सरकार ने जिला चंबा के पांगी जनजातीय क्षेत्र के धरवास गांव के वीर सिंह, चुवाड़ी क्षेत्र के अजय सिंह, कांगड़ा के पालमपुर के खिलड़ू गांव के विजय कुमार और टंग नरवाणा के राजेश कुमार को वूल फेडरेशन का सदस्य नियुक्त किया है। हालांकि, गद्दी समुदाय के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक केंद्र भरमौर से किसी भी व्यक्ति को न तो अध्यक्ष पद और न ही सदस्यता का अवसर दिया गया, जिससे स्थानीय लोगों में गहरी नाराजगी है।

भरमौर में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल, 80% पद खाली

भरमौर क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है। भरमौर अस्पताल में मात्र 2 डॉक्टर, 2 नर्स और 2 फार्मासिस्ट कार्यरत हैं, जबकि अधिकांश पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं। आपातकालीन चिकित्सा सुविधाओं का घोर अभाव है और दूरदराज के गांवों से मरीजों को उपचार के लिए मीलों दूर अन्य जिलों में जाना पड़ता है।

पठानकोट-भरमौर राष्ट्रीय राजमार्ग का विकास बेहद धीमा

पठानकोट-भरमौर राष्ट्रीय राजमार्ग, जिसे वर्षों पहले राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा दिया गया था, अभी तक अपेक्षित विकास नहीं देख पाया है। दस वर्षों के बाद भी इस राजमार्ग का निर्माण कार्य अत्यंत धीमी गति से चल रहा है। स्थानीय लोगों में यह भय घर कर गया है कि यदि यही हाल रहा तो इस महत्वपूर्ण सड़क को पूरा होने में पांच दशक से अधिक समय लग सकता है।

स्थानीय समुदाय में गहरा असंतोष, सरकार से न्याय की मांग

भरमौर के गद्दी समुदाय के लोगों का कहना है कि सरकार की विकास योजनाओं में उनके क्षेत्र को लगातार अनदेखा किया जा रहा है। चाहे वह वूल फेडरेशन में प्रतिनिधित्व हो, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार हो या सड़क और जल आपूर्ति जैसी आधारभूत सुविधाएं — हर मोर्चे पर भरमौर पीछे छोड़ दिया गया है। स्थानीय प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से मांग की है कि भरमौर क्षेत्र के विकास और गद्दी समुदाय के अधिकारों को प्राथमिकता दी जाए।