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Pahalgam Attack पर हिमाचल में उबाल: बाजार बंद, पुतले फूंके, सड़कों पर उतरे लोग, मुस्लिम संगठनों ने भी की निंदा

Pahalgam Attack पर हिमाचल में उबाल: बाजार बंद, पुतले फूंके, सड़कों पर उतरे लोग, मुस्लिम संगठनों ने भी की निंदा

शिमला/धर्मशाला। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या के बाद पूरे हिमाचल प्रदेश में बुधवार को आक्रोश की लहर दौड़ गई। राज्य भर में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन, रोष रैलियां और बाजार बंद के आह्वान के साथ जनता आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होती नजर आई।

🔥 जगह-जगह फूंके गए आतंकवाद के पुतले

घुमारवीं, सोलन, कुल्लू, जुब्बल-कोटखाई, नाहन, बद्दी और पांवटा साहिब सहित कई इलाकों में लोगों ने आतंकवाद के खिलाफ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया और पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की।
घुमारवीं में बाजार आधे दिन बंद रहा और स्थानीय व्यापारियों ने ‘संवेदना संस्था’ के साथ मिलकर रोष रैली निकाली।
कुल्लू में भाजपा कार्यकर्ताओं ने देव सदन से ढालुपर चौक तक प्रदर्शन कर आतंकियों का पुतला फूंका।

📢 हिंदू संगठनों का विरोध प्रदर्शन

सोलन में हिंदू संगठनों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए और पुराने डीसी चौक तक पुतला फूंका। बद्दी में श्रीराम सेना हिमाचल और राष्ट्रीय बजरंग दल ने प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा।

🛑 व्यापार मंडल का राज्यव्यापी बंद

हिमाचल प्रदेश व्यापार मंडल ने गुरुवार 24 अप्रैल को सुबह 11 बजे से राज्यभर में दुकानों को बंद रखने का एलान किया है, ताकि देश यह संदेश दे सके कि हिमाचल आतंकी हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा।

🚛 ट्रक ऑपरेटरों की हड़ताल

ऊना ट्रक ऑपरेटर महासंघ ने भी इस कायराना हमले के विरोध में हड़ताल का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सेब सीजन में भी वे कश्मीर में ट्रक नहीं भेजेंगे। “हम जरूरी सामान की ढुलाई भी नहीं करेंगे,” महासंघ ने स्पष्ट किया।

🪖 सेवानिवृत्त सैनिक बोले – हमें बॉर्डर पर भेजो

सेवानिवृत्त सैनिकों ने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षा मंत्री से अनुरोध किया है कि यदि देश को हमारी जरूरत हो, तो हम आतंकियों को जवाब देने को तैयार हैं।

🕌 मुस्लिम समुदाय ने भी जताया रोष

नाहन के मुस्लिम समुदाय, पांवटा साहिब और ऑल हिमाचल मुस्लिम संगठन के नेताओं ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि

“यह घटना इस्लाम को बदनाम करने और देश की एकता को तोड़ने की साजिश है।”
कैप्टन सलीम अहमद, मुबारिक अली, मौलाना रऊफ अहमद समेत दर्जनों लोगों ने इसे “इंसानियत के खिलाफ संगीन गुनाह” बताया।

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