चंबा, 24 मार्च 2025: चंबा जिले में शराब ठेकों की नीलामी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। एक ठेकेदार द्वारा मुख्यमंत्री को भेजी गई शिकायत में नीलामी प्रक्रिया को अनुचित और अपारदर्शी बताया गया है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि पूरी नीलामी प्रक्रिया कुछ ही मिनटों में पूरी कर दी गई और सभी ठेके एक ही पार्टी को सौंप दिए गए।
कैसे हुआ विवाद?
- बिना उचित प्रक्रिया के पूरे जिले का ठेका एक ही पार्टी को सौंपा गया।
- पहले की तरह ठेकेदारों को बचे हुए ठेकों के लिए अलग से मौका नहीं दिया गया।
- इस फैसले से सरकारी राजस्व को ₹8 करोड़ का नुकसान हुआ।
- ठेकेदारों ने टेंडर फीस ₹50,000 से ₹2,00,000 तक जमा की थी, जिसे अब लौटाने की मांग की जा रही है।
क्या है ठेकेदारों की मुख्य मांग?
- पूरी नीलामी प्रक्रिया की जांच कर पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
- टेंडर फीस वापस की जाए, क्योंकि ठेकेदारों के पास निष्पक्ष रूप से भाग लेने का अवसर नहीं था।
- जब टेंडर फीस अलग अलग यूनिटों की नीलामी के लिए थी, तो एकीकृत ठेके के लिए टेंडर फीस कैसे रखी जा सकती है?
- भविष्य में नीलामी प्रक्रिया को न्यायसंगत और पारदर्शी बनाया जाए।
एक पार्टी को ठेके देने से कैसे हुआ नुकसान?
शिकायतकर्ता का कहना है कि सभी ठेके एक ही व्यक्ति को देने से एकाधिकार (monopoly) बन गया है। इससे शराब के दाम बढ़ सकते हैं और आबकारी विभाग द्वारा लगाए जाने वाले दंडों की अनदेखी हो सकती है।
इसके अलावा, सरकार को संभावित ₹8 करोड़ के अतिरिक्त राजस्व से भी हाथ धोना पड़ा, जो प्रतिस्पर्धा बढ़ने से प्राप्त हो सकता था।
यह सिर्फ निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि सरकार की रोजगार सृजन प्रतिबद्धता पर भी सवाल खड़ा करता है।
क्या सरकार इस शिकायत पर कोई कार्रवाई करेगी?
अभी तक मुख्यमंत्री कार्यालय या आबकारी विभाग की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। यदि सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया, तो संभावना है कि ठेकेदार कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
अब देखना होगा कि क्या सरकार इस नीलामी प्रक्रिया की समीक्षा करेगी या इसे यूं ही छोड़ दिया जाएगा।