भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) और उनके साथी बुच विलमोर (Butch Wilmore) लगभग 9 महीने (275 दिन) अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में रहने के बाद पृथ्वी पर लौट आए हैं। यह मिशन केवल 8 दिनों के लिए निर्धारित था, लेकिन तकनीकी समस्याओं के कारण उनकी वापसी कई महीनों तक टलती रही। इस दौरान उन्हें माइक्रोग्रैविटी (Zero Gravity) के माहौल में रहना पड़ा, जिसने उनके शरीर पर कई प्रभाव डाले हैं। वैज्ञानिकों और डॉक्टरों का मानना है कि इतनी लंबी अवधि तक गुरुत्वाकर्षण के बिना रहने के कारण अब वे कई शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करेंगे।
जब कोई अंतरिक्ष यात्री लंबे समय तक माइक्रोग्रैविटी में रहता है, तो उसका शरीर गुरुत्वाकर्षण के अभाव में ढल जाता है। यह अनुकूलन पृथ्वी पर लौटने के बाद समस्याएं खड़ी कर सकता है क्योंकि शरीर को दोबारा गुरुत्वाकर्षण में खुद को ढालना पड़ता है। अब जब Sunita Williams और Butch Wilmore वापस आ गए हैं, तो NASA और SpaceX की मेडिकल टीमें उनकी रिकवरी के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उनके शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों को मॉनिटर किया जाएगा और उन्हें सामान्य स्थिति में लाने के लिए विशेष पुनर्वास (Rehabilitation) प्रक्रियाएं अपनाई जाएंगी।
सबसे पहले, हड्डियों की कमजोरी (Bone Density Loss) एक गंभीर समस्या होगी। माइक्रोग्रैविटी के कारण अंतरिक्ष यात्रियों की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, क्योंकि वहां भार वहन करने की जरूरत नहीं होती। शोध के अनुसार, हर महीने हड्डियों की घनत्व (Bone Density) में 1% तक की कमी हो सकती है और इस मिशन में लगभग 9 महीने तक वे गुरुत्वाकर्षण से दूर रहे। इसका मतलब है कि सुनीता और बुच को 8-10% तक हड्डी घनत्व का नुकसान हो सकता है। पृथ्वी पर लौटने के बाद यह स्थिति उन्हें चलने और खड़े होने में कठिनाई दे सकती है। NASA की मेडिकल टीम उनकी हड्डियों को मजबूत करने के लिए विशेष फिजियोथेरेपी, व्यायाम और कैल्शियम-युक्त आहार की योजना तैयार करेगी।
इसके अलावा, मांसपेशियों की कमजोरी (Muscle Atrophy) भी एक बड़ी समस्या होगी। पृथ्वी पर हमारे मांसपेशियां हर समय गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ काम करती हैं, लेकिन अंतरिक्ष में इसकी जरूरत नहीं होती, जिससे मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। कई अंतरिक्ष यात्री जो लंबे समय तक ISS पर रहे हैं, वे पृथ्वी पर लौटने के बाद कई दिनों तक सही से चल भी नहीं पाते। Sunita और Butch को भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। उनके शरीर की नीचे की मांसपेशियां विशेष रूप से प्रभावित हो सकती हैं, क्योंकि अंतरिक्ष में भारहीनता के कारण पैरों और कमर पर कोई दबाव नहीं पड़ता। रिकवरी के लिए रेसिस्टेंस एक्सरसाइज, प्रोटीन-युक्त आहार और विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि उनकी मांसपेशियां फिर से मजबूत हो सकें।
संतुलन और चक्कर आना (Balance and Vertigo Issues) भी एक बड़ी चुनौती होगी। माइक्रोग्रैविटी में शरीर की अंदरूनी संतुलन प्रणाली (Vestibular System) काम करना बंद कर देती है, जिससे पृथ्वी पर लौटने के बाद उन्हें स्थिर खड़े रहने और सही तरीके से चलने में कठिनाई हो सकती है। कई अंतरिक्ष यात्री इस कारण सिर घुमाने पर चक्कर महसूस करते हैं और असंतुलित महसूस करते हैं। Sunita और Butch के लिए भी यह चुनौती होगी और उनकी संतुलन प्रणाली को दोबारा सामान्य करने के लिए विशेष संतुलन सुधार प्रशिक्षण और न्यूरोलॉजिकल रिकवरी तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
NASA के शोध में यह भी पाया गया है कि लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से आंखों की दृष्टि पर प्रभाव पड़ सकता है। माइक्रोग्रैविटी के कारण आंखों की नसों (Optic Nerve) पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे दृष्टि धुंधली हो सकती है। कई अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर लौटने के बाद यह शिकायत करते हैं कि उन्हें नजदीक और दूर की वस्तुओं को देखने में दिक्कत होती है। यह समस्या Sunita और Butch के साथ भी हो सकती है। NASA की मेडिकल टीम उनकी आंखों की नियमित जांच करेगी और जरूरत पड़ने पर विशेष दृष्टि सुधार चश्मे या थेरेपी का उपयोग किया जाएगा।
एक और महत्वपूर्ण चिंता रेडिएशन एक्सपोजर (Radiation Exposure) है। पृथ्वी के वायुमंडल और मैग्नेटोस्फीयर (Magnetosphere) हमें सूर्य और अंतरिक्ष से आने वाली हानिकारक किरणों से बचाते हैं, लेकिन ISS पर इस सुरक्षा का अभाव होता है। लंबे समय तक उच्च-स्तरीय रेडिएशन के संपर्क में रहने से डीएनए डैमेज (DNA Damage), कैंसर का खतरा और प्रतिरोधक क्षमता में कमी हो सकती है। इस जोखिम को कम करने के लिए NASA Sunita और Butch के ब्लड टेस्ट और डीएनए जांच करेगा और उन्हें एंटीऑक्सीडेंट-युक्त आहार और विशेष दवाएं दी जाएंगी।
मानसिक स्वास्थ्य भी एक प्रमुख चिंता का विषय होगा। 9 महीने तक पृथ्वी से दूर रहना मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण होता है। अकेलापन, तनाव और पृथ्वी पर लौटने के बाद समाज में दोबारा घुलने-मिलने में कठिनाई जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कई अंतरिक्ष यात्री अनिद्रा (Insomnia), डिप्रेशन और पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस (PTSD) जैसी मानसिक समस्याओं से गुजरते हैं। Sunita और Butch को भी ऐसे अनुभव हो सकते हैं, इसलिए उनकी मानसिक स्थिति को स्थिर करने के लिए मनोवैज्ञानिक सलाह (Psychological Counseling), परिवार के साथ समय बिताने के लिए विशेष कार्यक्रम और मेडिटेशन जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
NASA के वैज्ञानिकों का कहना है कि पूरी तरह स्वस्थ होने में Sunita और Butch को कम से कम 6-8 महीने लग सकते हैं। हड्डियों और मांसपेशियों की रिकवरी में 1-2 साल तक का समय लग सकता है। इस दौरान वे हर हफ्ते मेडिकल जांच कराएंगे और उनके शरीर की प्रतिक्रिया को मॉनिटर किया जाएगा।
इस मिशन से मिले अनुभवों से भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों में यात्रियों की सुरक्षा को और बेहतर बनाने की कोशिश की जाएगी। NASA और SpaceX अब यह सुनिश्चित करेंगे कि लंबी अवधि के मिशनों के लिए बेहतर व्यायाम, आहार और सुरक्षा उपायों को लागू किया जाए। यह मिशन मंगल ग्रह (Mars) पर इंसानों को भेजने की तैयारियों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा।
Sunita Williams और Butch Wilmore की वापसी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि अंतरिक्ष में इंसानों के रहने और सुरक्षित लौटने की क्षमता को निरंतर बेहतर बनाया जा सकता है। उनकी रिकवरी को लेकर पूरी दुनिया नजरें गड़ाए बैठी है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि वे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में दोबारा कैसे सामंजस्य बैठाते हैं। 🚀🌍