हिमाचल प्रदेश के बागवानों द्वारा फास्फोरस के अंधाधुंध उपयोग से मिट्टी की सेहत पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। हाल ही में बागवानी और कृषि विभाग द्वारा किए गए मृदा परीक्षण (Soil Testing) में यह खुलासा हुआ है कि मिट्टी में फास्फोरस की मात्रा अत्यधिक हो गई है। इस समस्या से बचने और बागवानों को नुकसान न उठाना पड़े, इसके लिए उद्यान विभाग ने फास्फोरस के सही और संतुलित उपयोग को लेकर एडवाइजरी जारी की है।
फास्फोरस की अधिकता के प्रभाव
फास्फोरस का उपयोग सेब के पौधों की वृद्धि, फूल आने और फल की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। लेकिन इसका गलत समय पर और अधिक मात्रा में उपयोग मिट्टी और पौधों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
- मिट्टी का संतुलन बिगड़ना: फास्फोरस की अधिकता से जिंक और आयरन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
- पौधों पर असर: गलत तरीके से फास्फोरस डालने से यह पौधों की जड़ों तक नहीं पहुंच पाता, जिससे उनकी वृद्धि बाधित होती है।
- मिट्टी पर नकारात्मक प्रभाव: अतिरिक्त फास्फोरस मिट्टी के पोषक तत्वों के संतुलन को बिगाड़ सकता है।
फास्फोरस के सही उपयोग के लिए एडवाइजरी
उद्यान विभाग ने बागवानों को फास्फोरस के सही उपयोग के लिए निम्नलिखित निर्देश दिए हैं:
- सही समय:
- फास्फोरस का प्रयोग फ्लावरिंग से 90 दिन पहले करें।
- यह आमतौर पर दिसंबर माह में किया जाना चाहिए।
- इसका प्रयोग वैकल्पिक वर्षों में करें।
- सही तरीका:
- पौधे के तने से एक फीट की दूरी पर गोल आकार की नाली खोदें।
- नाली में फास्फोरस डालें ताकि यह सीधे पौधे की जड़ों तक पहुंचे।
- इसे तने के पास या ऊपरी सतह पर डालने से बचें, क्योंकि यह जड़ों तक नहीं पहुंच पाता।
- मिट्टी परीक्षण:
- नियमित अंतराल पर मिट्टी का परीक्षण करवाएं।
- यदि मिट्टी में फास्फोरस पहले से ही पर्याप्त या अधिक है, तो अतिरिक्त फास्फोरस का उपयोग न करें।
- संतुलित पोषण:
- मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखने के लिए फास्फोरस, जिंक और आयरन का ध्यान रखें।
फास्फोरस की कमी और अधिकता दोनों नुकसानदायक
फास्फोरस की कमी पौधों की वृद्धि और उत्पादन को बाधित कर सकती है, जबकि इसकी अधिकता मिट्टी के अन्य पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता पर प्रभाव डालती है। इसलिए, संतुलित पोषण और सही समय पर फास्फोरस का उपयोग करना बेहद जरूरी है।
बागवानों के लिए सलाह
- एडवाइजरी का पालन करें और मिट्टी में फास्फोरस के स्तर को संतुलित रखने के लिए नियमित परीक्षण करवाएं।
- अतिरिक्त फास्फोरस का उपयोग करने से बचें, क्योंकि यह मिट्टी और पौधों दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
- पौधों की जड़ों तक पोषक तत्व पहुंचाने के लिए सही तकनीक अपनाएं।