हिमाचल प्रदेश में भांग की नियंत्रित खेती को सैद्धांतिक मंजूरी, औद्योगिक और औषधीय उपयोग पर होगा शोध

हिमाचल प्रदेश में भांग की नियंत्रित खेती को सैद्धांतिक मंजूरी, औद्योगिक और औषधीय उपयोग पर होगा शोध

हिमाचल प्रदेश सरकार ने औषधीय और औद्योगिक उपयोग के लिए भांग की नियंत्रित खेती को सैद्धांतिक मंजूरी दी है। यह निर्णय राज्य में कृषि और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। हालांकि, यह निर्णय पूरी तरह से नियंत्रित और शोध आधारित है।

शोध आधारित पायलट प्रोजेक्ट

सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि भांग की खेती पर कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर और उद्यान एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में पायलट प्रोजेक्ट के तहत रिसर्च की जाएगी। इन शोध परियोजनाओं में भांग के औषधीय और औद्योगिक उपयोग पर अध्ययन होगा। यदि इन शोधों के परिणाम सकारात्मक आते हैं, तो ही इस योजना को आगे बढ़ाया जाएगा।

ग़लतफहमी से बचें: चरस उत्पादन के लिए भांग की खेती वैध नहीं

सरकार ने साफ किया है कि इस योजना का यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि चरस उत्पादन के लिए भांग की खेती को वैध कर दिया गया है। गांव-गांव में फैल रही अफवाहों को खारिज करते हुए, प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि भांग की खेती अभी भी कानूनी रूप से प्रतिबंधित है।

भांग की अवैध खेती पर सख्त कानून

भांग की खेती करना हिमाचल प्रदेश में अभी भी कानूनन जुर्म है। यदि कोई व्यक्ति भांग की अवैध खेती करते हुए पाया जाता है, तो उसे एनडीपीएस एक्ट, 1985 (NDPS Act, 1985) के तहत सख्त सजा हो सकती है।

  • सजा: 6 महीने से 10 साल तक का कठिन कारावास।
  • जुर्माना: ₹10,000 से लेकर लाखों रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

सरकार की अपील: अफवाहों से बचें और नशा मुक्त हिमाचल बनाएं

सरकार ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और नशा मुक्त हिमाचल बनाने में सहयोग करें। नियंत्रित और शोध आधारित खेती का उद्देश्य केवल औद्योगिक और औषधीय संभावनाओं का पता लगाना है, न कि नशीले पदार्थों को वैधता देना।