जनवरी 13, 2025 को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई, जहां बीएसई सेंसेक्स 1,012.97 अंक या 1.31% गिरकर 76,365.94 पर बंद हुआ। इसी तरह, एनएसई निफ्टी 351.25 अंक गिरकर 23,080.25 पर आ गया। इस गिरावट के पीछे कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें अमेरिकी जॉब डेटा, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, रुपये की कमजोरी, और विदेशी निवेशकों की बिकवाली शामिल हैं।
गिरावट के पांच प्रमुख कारण
1. अमेरिकी आर्थिक डेटा और फेडरल रिजर्व की नीतियां:
शुक्रवार को जारी किए गए अमेरिकी रोजगार डेटा ने वैश्विक बाजारों को झटका दिया।
- मजबूत रोजगार डेटा:
दिसंबर में अमेरिका की बेरोजगारी दर घटकर 4.1% पर आ गई, जबकि रोजगार सृजन भी मजबूत रहा। - फेड की दरों में कटौती की उम्मीदें कम:
इन आंकड़ों से संकेत मिलता है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व निकट भविष्य में ब्याज दरों में कटौती से बच सकता है। - वैश्विक तरलता पर प्रभाव:
सख्त मौद्रिक नीतियों के कारण वैश्विक तरलता में कमी हो रही है, जो उभरते बाजारों को नुकसान पहुंचा रही है।
विशेषज्ञ की राय:
“अमेरिकी जॉब डेटा के बाद, 2025 में फेड की दर कटौती की संभावना बहुत कम हो गई है। इससे भारतीय बाजारों पर दबाव बढ़ेगा,” वीके विजयकुमार, चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज।
2. विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली:
- जनवरी में बिकवाली:
जनवरी 2025 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारतीय बाजार से ₹21,350 करोड़ की बिकवाली की। - दिसंबर का रिकॉर्ड:
दिसंबर 2024 में भी FPIs ने ₹16,982 करोड़ की बिकवाली की थी। - मुख्य कारण:
भारतीय बाजारों के ऊंचे मूल्यांकन, कमजोर कॉर्पोरेट आय, और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि ने विदेशी निवेशकों को बाजार से बाहर किया।
3. कच्चे तेल की कीमतों में उछाल:
- 15 सप्ताह का उच्चतम स्तर:
वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 15 सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। - रूस पर अमेरिकी प्रतिबंध:
रूस पर नए प्रतिबंधों के कारण आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो रही है। - भारत पर प्रभाव:
भारत, जो कच्चे तेल का एक बड़ा आयातक है, बढ़ती कीमतों के कारण राजकोषीय घाटे और मुद्रास्फीति के दबाव का सामना कर रहा है।
4. रुपये में कमजोरी:
- 86.27 का नया निम्न स्तर:
भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। - कारण:
मजबूत अमेरिकी डॉलर, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि, और विदेशी पूंजी का बहिर्वाह। - परिणाम:
रुपये की कमजोरी आयात लागत बढ़ाएगी और निवेशकों की धारणा को और कमजोर करेगी।
5. वैश्विक बाजारों में गिरावट:
- एशियाई बाजारों पर असर:
एशियाई बाजारों ने अमेरिकी इक्विटी के कमजोर प्रदर्शन को दर्शाते हुए गिरावट दर्ज की। - एमएससीआई इंडेक्स:
क्षेत्रीय इक्विटी का एमएससीआई इंडेक्स लगातार चौथे दिन गिरा। - वैश्विक निवेश धारणा:
मजबूत अमेरिकी आर्थिक डेटा और फेड की सख्ती की आशंका ने वैश्विक निवेशकों को सतर्क कर दिया है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
- तकनीकी विश्लेषण:
निफ्टी के लिए 22,000 के स्तर तक गिरावट की संभावना जताई जा रही है। - दीर्घकालिक दृष्टिकोण:
विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में सुधार मार्च 2025 तक सीमित रहेगा और निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए। - सुझाव:
निवेशकों को लंबे समय के दृष्टिकोण से मजबूत फंडामेंटल वाले शेयरों में निवेश करना चाहिए।
आगे का रास्ता
भारतीय शेयर बाजारों को स्थिरता पाने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
- विदेशी निवेशकों की वापसी और अमेरिकी फेड की नीतियों में नरमी महत्वपूर्ण होगी।
- घरेलू स्तर पर, कच्चे तेल की कीमतों और रुपये की स्थिरता भी बाजार की दिशा तय करेगी।