हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 2415 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि यह धनराशि धार्मिक स्थलों के सौंदर्यीकरण और साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए खर्च की जाएगी। हालांकि, चंबा जिले के भरमौर के प्रसिद्ध 84 मंदिरों और मणिमहेश यात्रा, जो लाखों श्रद्धालुओं का केंद्र हैं, को इस योजना में शामिल नहीं किया गया है।
मंडी के शिवधाम के लिए 150.27 करोड़ रुपये
पर्यटन योजनाओं के तहत मंडी जिले के शिवधाम परियोजना के लिए 150.27 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य धार्मिक पर्यटकों को आकर्षित करना और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।
बाबा बालक नाथ मंदिर और नगरोटा बगवां में विकास कार्य
हमीरपुर जिले के बाबा बालक नाथ मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए 51.70 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई है। इसी तरह, कांगड़ा जिले के नगरोटा बगवां और पालमपुर के सौंदर्यीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास पर 78.09 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
साहसिक पर्यटन और वेलनेस सेंटर
नादौन, मनाली और कुल्लू में वेलनेस सेंटर बनाने के लिए 280.39 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई है। साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नादौन में राफ्टिंग कॉम्प्लेक्स और शिमला, धर्मशाला तथा मनाली में रोलर स्केटिंग रिंक के निर्माण पर 163.50 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
भरमौर और मणिमहेश को क्यों छोड़ा गया?
भरमौर के 1400 साल पुराने 84 मंदिर, जो कि भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का हिस्सा हैं, तथा मणिमहेश यात्रा, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है, को इस योजना में शामिल न करना सवाल खड़े कर रहा है। स्थानीय लोग और विशेषज्ञ इसे हिमाचल प्रदेश की धरोहरों की उपेक्षा मान रहे हैं।
भरमौर निवासी विक्रम ठाकुर ने कहा, “मणिमहेश यात्रा और 84 मंदिरों को दरकिनार करना हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को कमजोर करता है। सरकार को इन धरोहरों के विकास पर भी ध्यान देना चाहिए।”