हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के ठियोग उपमंडल में पानी के टैंकरों से जल आपूर्ति में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का मामला सामने आया है। शुरुआती जांच में पता चला है कि मोटरसाइकिल, कार और निजी वाहनों के नंबर टैंकरों के रूप में दिखाकर लाखों रुपये के बिल पास किए गए। इस मामले की जांच का जिम्मा एक्सईएन मतियाना को सौंपा गया है, जो दो सहायक अभियंताओं और चार कनिष्ठ अभियंताओं से पूछताछ कर रहे हैं।
कैसे हुआ खुलासा?
आईटीआई से सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी में सामने आया कि पानी के टैंकरों के लिए जिन वाहनों के नंबर दर्ज किए गए, उनमें TVS मोटरसाइकिल, i10 कार, बोलेरो जीप और अन्य वाहन शामिल हैं। यह सभी वाहन टैंकरों के तौर पर उपयोग में नहीं आ सकते।
उदाहरण के तौर पर:
- HP-63-C-5101 नंबर की TVS मोटरसाइकिल पर 11 चक्कर दिखाए गए और 23,000 रुपये का भुगतान किया गया।
- HP-62-B-0122 नंबर की i10 हुंडई कार पर 46 चक्कर दिखाकर 6,24,138 रुपये का बिल पास किया गया।
- एक पिकअप वाहन पर एक दिन में 819 किलोमीटर पानी की सप्लाई और अगले दिन 614 किलोमीटर की सप्लाई दर्शाई गई।
जांच के दायरे में अधिकारी
जिला प्रशासन ने बताया कि सहायक अभियंता और कनिष्ठ अभियंताओं को पानी के टैंकरों के बिलों की सत्यापन प्रक्रिया की जिम्मेदारी दी गई थी। सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर ठेकेदारों को 1 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया।
हालांकि, यह स्पष्ट हुआ कि सत्यापन प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ियां हुईं। ठियोग एसडीएम मुकेश शर्मा ने बताया कि बिलों का भुगतान जल शक्ति विभाग की सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर किया गया था।
गांवों में टैंकर सप्लाई जहां सड़क ही नहीं
जांच में यह भी पाया गया कि दो ऐसे गांवों में पानी के टैंकरों की सप्लाई दिखाई गई, जहां सड़क ही मौजूद नहीं है। यह सवाल खड़ा करता है कि पानी की आपूर्ति कैसे की गई।
पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने की निष्पक्ष जांच की मांग
ठियोग के पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने इस मामले की शिकायत राज्य सरकार को सौंपी है। उन्होंने मुख्य सचिव से पूरे रिकॉर्ड को सीज कर निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह की गड़बड़ियों से सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है और संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
जिला प्रशासन का बयान
जिला प्रशासन ने कहा है कि संबंधित उपमंडल अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे कि टैंकरों के बिलों का भुगतान एसडीएम स्तर पर सत्यापन के बाद ही किया जाए। बावजूद इसके इतनी बड़ी गड़बड़ी सामने आई है।
भविष्य की कार्रवाई
- एक्सईएन मतियाना को जल्द से जल्द जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
- दोषी पाए गए अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- भुगतान की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं।
यह मामला हिमाचल प्रदेश में सरकारी धन के दुरुपयोग की गंभीरता को दर्शाता है और प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करता है।