हिमाचल प्रदेश में अब सभी नए और पुराने वाहनों के पंजीकरण के समय ग्रीन शुल्क देना अनिवार्य होगा। यह कदम पर्यावरण संरक्षण और सड़क सुरक्षा के कार्यों के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस शुल्क की शुरुआत वर्ष 2023 में हुई थी, लेकिन तकनीकी समस्याओं के कारण इसे प्रभावी रूप से लागू नहीं किया जा सका। अब परिवहन विभाग ने नया सॉफ्टवेयर तैयार कर इस प्रक्रिया को सुचारु कर दिया है।
क्या है ग्रीन शुल्क और कितना होगा शुल्क?
परिवहन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, यह ग्रीन शुल्क वाहन के प्रकार और पंजीकरण की स्थिति के अनुसार 500 रुपये से लेकर 4,000 रुपये तक होगा। यह शुल्क पंजीकरण फीस के साथ वसूला जाएगा। नए वाहनों के पंजीकरण में जहां कुल लागत पर शुल्क जोड़ा जाएगा, वहीं पुराने वाहनों के पंजीकरण के दौरान बीमा में दर्ज कीमत के आधार पर 3% टैक्स लगाया जाएगा।
तकनीकी समस्याओं का हुआ समाधान
वर्ष 2023 में ग्रीन शुल्क लागू करने की योजना बनी थी, लेकिन सॉफ्टवेयर में आई तकनीकी खामियों के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका। अब परिवहन विभाग ने एक नया और उन्नत सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिससे यह प्रक्रिया सुगम हो गई है। विभाग ने इसे लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी है और जनता से सुझाव एवं आपत्तियां मांगी थीं। हालांकि, प्रदेशभर से इस संबंध में किसी ने आपत्ति या सुझाव नहीं दिया।
ग्रीन शुल्क का उपयोग
परिवहन विभाग के अनुसार, ग्रीन शुल्क से मिलने वाली राशि का उपयोग पर्यावरण संरक्षण और सड़क सुरक्षा परियोजनाओं के लिए किया जाएगा। इसके तहत सड़कों पर प्रदूषण घटाने, हरित क्षेत्र विकसित करने और यातायात प्रबंधन में सुधार जैसे कदम उठाए जाएंगे।
किन वाहनों पर कितना शुल्क?
- दोपहिया वाहन: ग्रीन शुल्क न्यूनतम 500 रुपये होगा।
- छोटे चारपहिया वाहन: शुल्क 1,000 से 2,000 रुपये तक हो सकता है।
- भारी वाहन (ट्रक, बस आदि): शुल्क 3,000 से 4,000 रुपये तक तय किया गया है।
विभाग ने दी चेतावनी
परिवहन विभाग ने स्पष्ट किया है कि पंजीकरण शुल्क का भुगतान किए बिना वाहन का पंजीकरण नहीं किया जाएगा। साथ ही, यह नियम सभी जिलों में समान रूप से लागू होगा।
यह निर्णय हिमाचल प्रदेश की हरित छवि को बनाए रखने और प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने के लिए अहम माना जा रहा है। साथ ही, इससे प्रदेश सरकार को अतिरिक्त राजस्व भी प्राप्त होगा, जो विकास कार्यों में सहायक होगा।