हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज सिरमौर जिले के प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेले का भव्य शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने भगवान परशुराम की पालकी को कंधा देकर शोभायात्रा की अगुवाई की और मेला स्थल पर उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपने संबोधन में प्रदेश के मेलों और त्यौहारों को हिमाचल की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे प्रदेश के मेले और उत्सव हमारी लोक संस्कृति, कला, संगीत, नृत्य और रीति-रिवाजों को संजोने और प्रदर्शित करने का अनोखा मंच हैं। यह आयोजन युवाओं को हमारी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने का अवसर देता है।” उन्होंने प्रदेश के मेले और त्यौहारों को राज्य के पर्यटन क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने वाला अहम कारक बताते हुए कहा कि ये उत्सव देश-विदेश के पर्यटकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र बनते हैं, जो न केवल पर्यटन को बढ़ावा देते हैं बल्कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ करते हैं।
रेणुका जी बांध परियोजना पर जल्द होगा कार्यारंभ
मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि बहुप्रतीक्षित श्री रेणुका जी बांध परियोजना पर जल्द ही काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि परियोजना की प्रगति में एफसीए क्लीयरेंस से संबंधित कुछ रुकावटें हैं, जिन्हें राज्य सरकार गंभीरता से दूर करने के प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा, “राज्य सरकार ने इस परियोजना के महत्व को समझते हुए इसके निर्माण कार्य को प्राथमिकता दी है और सभी आवश्यक अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया है।” उन्होंने आशा जताई कि इस परियोजना के शुरू होने से इलाके की जल आपूर्ति में सुधार होगा और अन्य विकासात्मक कार्यों को भी बल मिलेगा।
भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शनियों का आयोजन
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भगवान परशुराम और माता श्री रेणुका जी के मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की और प्रदेश की शांति एवं समृद्धि के लिए कामना की। मेला स्थल पर विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए विकासात्मक प्रदर्शनों का भी उन्होंने उद्घाटन किया। इस अवसर पर हिमाचल की पारंपरिक महानाटी नृत्य का विशेष प्रदर्शन किया गया, जिसमें करीब 300 स्थानीय महिलाओं ने हिस्सा लिया। इस भव्य प्रदर्शन ने मेले में आए दर्शकों का मन मोह लिया और हिमाचल की सांस्कृतिक विविधता का अद्भुत परिचय दिया।
रेणुका जी मेला प्रतिवर्ष कार्तिक माह में आयोजित होता है और यह भगवान परशुराम और उनकी माता रेणुका जी के पौराणिक प्रसंगों से जुड़ा हुआ है। इस मेले में धार्मिक अनुष्ठान, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, स्थानीय हस्तशिल्प और पारंपरिक व्यंजनों का अनूठा संगम देखने को मिलता है, जो पर्यटकों और स्थानीय लोगों के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है।
हिमाचल प्रदेश के मेलों और उत्सवों का महत्व
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर प्रदेश के अन्य पारंपरिक मेलों और उत्सवों की महत्ता को भी रेखांकित किया और कहा कि हिमाचल की संस्कृति का अद्भुत संगम इन आयोजनों में झलकता है। उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश के पारंपरिक मेलों को बढ़ावा देने के लिए अनेक कदम उठा रही है ताकि हिमाचल की संस्कृति और पर्यटन का विकास हो सके। सरकार प्रदेश के प्रत्येक कोने में इस प्रकार के आयोजन कराकर स्थानीय कलाकारों और कारीगरों को एक मंच प्रदान करने का प्रयास कर रही है, जिससे न केवल उनकी आजीविका में सुधार होगा, बल्कि हिमाचल की सांस्कृतिक विरासत भी सहेज कर रखी जा सकेगी।
अंतरराष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेला: एक नजर में
रेणुका जी मेला, हिमाचल प्रदेश का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन है। यह मेला कार्तिक महीने में गंगा स्नान के पश्चात प्रारंभ होता है और भगवान परशुराम तथा माता रेणुका जी के पूजन-अर्चन से इसका शुभारंभ होता है। इस मेले में पर्यटकों के लिए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनी और हस्तशिल्प प्रदर्शन का आयोजन किया जाता है, जिससे हिमाचल की संस्कृति, परंपराओं और इतिहास का अनूठा परिचय मिलता है।