चंबा राजकीय मेडिकल कॉलेज में गर्भवती महिलाओं और पेट दर्द जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के लिए अल्ट्रासाउंड कराने में परेशानी बढ़ गई है। यहां मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए लगभग दो महीने बाद की तारीख दी जा रही है, जिससे उनके इलाज में देरी हो रही है। इस वजह से मरीजों को निजी क्लीनिकों का रुख करना पड़ रहा है, जहां उन्हें 1,000 से 1,200 रुपये तक की भारी रकम खर्च करनी पड़ रही है।
सरकारी अस्पताल में यह सेवा मुफ्त होती है, लेकिन लंबे इंतजार और जरूरी स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को निजी केंद्रों पर महंगे अल्ट्रासाउंड करवाने की मजबूरी का सामना करना पड़ रहा है। चंबा मेडिकल कॉलेज में रेडियोलॉजिस्ट के दो पद खाली हैं, जिसके चलते यहां मौजूद एकमात्र रेडियोलॉजिस्ट पर सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी जिम्मेदारियां भी आ गई हैं, जिससे अल्ट्रासाउंड सेवाओं में देरी हो रही है।
चंबा मेडिकल कॉलेज पर पांच विधानसभा क्षेत्रों की लगभग छह लाख की आबादी निर्भर है। यह क्षेत्र स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पूरी तरह से इस कॉलेज पर आश्रित है, लेकिन मौजूदा स्थिति में उन्हें इलाज के लिए कड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति से लोग निराश हैं और जल्द समाधान की उम्मीद कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों और मरीजों ने राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग से इस समस्या का समाधान करने की मांग की है। लोगों का कहना है कि अगर अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट के पद जल्द भरे जाएं, तो इस समस्या से राहत मिल सकती है। साथ ही, अतिरिक्त स्टाफ की नियुक्ति से मरीजों को तत्काल सेवा मिल पाएगी, जिससे उनकी आर्थिक और मानसिक परेशानी भी कम होगी।