गरीब परिवारों के बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया में अब एक बड़ा बदलाव आया है। सरकार ने इस प्रक्रिया को और सुगम बनाने के लिए अधिसूचना जारी की है। अब बीपीएल प्रमाणपत्रों के निर्माण के लिए लोगों को सीधे पंचायत या संबंधित कार्यालय जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि यह प्रमाणपत्र अब लोकमित्र केंद्रों के माध्यम से भी बनाए जा सकेंगे।
सरकार की नई अधिसूचना के तहत, अब सभी जिला उपायुक्तों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने जिलों में इस सुविधा को तुरंत प्रभाव से लागू करें। 22 सितंबर, 2023 से जारी इस अधिसूचना के अनुसार, लोकमित्र केंद्रों पर बीपीएल प्रमाणपत्र के लिए 60 रुपये की शुल्क निर्धारित की गई है।
अब तक यह प्रमाणपत्र केवल संबंधित पंचायत सचिव के माध्यम से ही बनता था। प्रक्रिया को सुगम और पारदर्शी बनाने के लिए अब इसे लोकमित्र केंद्रों में भी उपलब्ध कराया गया है, जिससे लोगों को गांव से बाहर जाकर समय और संसाधनों की बचत हो सके।
इस निर्णय का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद परिवारों को आसानी से बीपीएल प्रमाणपत्र उपलब्ध कराना है। इसके साथ ही, इस प्रक्रिया को डिजिटल माध्यम से जोड़ने का भी प्रयास किया गया है, जिससे पारदर्शिता और सटीकता में वृद्धि हो।
हालांकि, यह निर्णय कुछ राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के लिए चर्चा का विषय बन गया है। कुछ नेताओं का कहना है कि सरकार द्वारा लगाए गए 60 रुपये के शुल्क से गरीबों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस नई व्यवस्था से भ्रष्टाचार में कमी आएगी और गरीबों को बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी।
जिला प्रशासन के अनुसार, इस प्रक्रिया को सख्ती से लागू किया जाएगा और लोकमित्र केंद्रों पर सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी ताकि लोगों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।