हिमाचल प्रदेश में सीट बेल्ट की अनिवार्यता पर स्टडी करेगी IIT मंडी

हिमाचल प्रदेश में सीट बेल्ट की अनिवार्यता पर स्टडी करेगी IIT मंडी

हिमाचल प्रदेश में सीट बेल्ट की अनिवार्यता को लेकर उठ रही आवाजों को देखते हुए परिवहन विभाग ने इसके प्रभावों की स्टडी करवाने का निर्णय लिया है। यह स्टडी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मंडी द्वारा की जाएगी। हिमाचल प्रदेश के अलावा जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और अन्य पहाड़ी राज्यों में भी यह मांग की जा रही है कि इन राज्यों में सीट बेल्ट की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए।

दरअसल, पहाड़ी राज्यों में सड़क दुर्घटनाओं के दौरान सीट बेल्ट पहनने के कारण कई बार यात्रियों को गाड़ी में फंसे रहने की घटनाएं सामने आई हैं। ऐसे मामलों में, गाड़ी के पलटने या खाई में गिरने की स्थिति में यात्रियों को बाहर निकलने में कठिनाई होती है। यही कारण है कि स्थानीय निवासियों द्वारा सीट बेल्ट की अनिवार्यता को समाप्त करने की मांग की जा रही है।

हिमाचल प्रदेश में सड़क सुरक्षा को लेकर लंबे समय से चर्चा हो रही है। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से मिली मांगों को देखते हुए परिवहन विभाग ने IIT मंडी से इस पर शोध कराने का फैसला किया है। यह स्टडी इस बात का मूल्यांकन करेगी कि सीट बेल्ट की अनिवार्यता को हटाने से सड़क सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ सकता है और क्या पहाड़ी क्षेत्रों में इसका कोई वैकल्पिक उपाय संभव है।

परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “हमें लोगों से कई शिकायतें मिली हैं कि सीट बेल्ट के कारण दुर्घटनाओं में यात्रियों को बाहर निकलने में परेशानी होती है। इसलिए, हमने IIT मंडी से इस पर विस्तृत अध्ययन कराने का निर्णय लिया है।”

IIT मंडी के विशेषज्ञों की एक टीम इस पर अध्ययन करेगी और इसके लिए प्रदेशभर के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर डाटा संग्रह करेगी। इसमें दुर्घटनाओं के आंकड़े, स्थानीय निवासियों और विशेषज्ञों की राय शामिल होगी। इसके बाद एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसमें यह स्पष्ट किया जाएगा कि पहाड़ी राज्यों में सीट बेल्ट की अनिवार्यता को समाप्त करना उचित होगा या नहीं।

इस स्टडी के परिणामों के आधार पर ही परिवहन विभाग कोई अंतिम निर्णय लेगा। अगर रिपोर्ट में यह पाया जाता है कि सीट बेल्ट की अनिवार्यता को हटाने से सुरक्षा में सुधार हो सकता है, तो विभाग इस पर आवश्यक कदम उठाएगा।

यह स्टडी न केवल हिमाचल प्रदेश के लिए बल्कि अन्य पहाड़ी राज्यों के लिए भी महत्वपूर्ण होगी, जहां इसी प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। परिवहन विभाग उम्मीद कर रहा है कि इस शोध के माध्यम से एक उचित और प्रभावी समाधान निकाला जा सकेगा।