कुगति-लाहौल मार्ग: लोगों की मांग ने पकड़ा जोर, पठानकोट से लेह तक की दूरी 200 किलोमीटर होगी कम

हिमाचल प्रदेश में कुगति से लाहौल तक एक नई सड़क परियोजना की मांग स्थानीय निवासियों द्वारा तेजी से की जा रही है। इस प्रस्तावित 25-30 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण पठानकोट से लेह तक की यात्रा को 200 किलोमीटर तक कम कर देगा। यह न केवल अटल टनल के समान लाभ प्रदान करेगा बल्कि लाहौल-स्पीति घाटी के पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। यह भारतीय सेना और स्थानीय नागरिकों के लिए लेह-लद्दाख क्षेत्र तक पहुँचने के लिए एक महत्वपूर्ण वैकल्पिक मार्ग का काम करेगी। इस नए मार्ग के बनने से लेह-लद्दाख के लिए यात्रा के विकल्प बढ़ेंगे, जिससे यात्रा करने में और सुविधा मिलेगी।

जनता की मांग

स्थानीय निवासियों का मानना है कि यह नई सड़क उनके दैनिक जीवन को सरल बनाने के साथ-साथ क्षेत्र की आर्थिक स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। यह सड़क न केवल आवागमन को आसान बनाएगी बल्कि क्षेत्रीय व्यापार और उद्योगों के लिए नए अवसर भी प्रदान करेगी। स्थानीय समुदाय के लोगों ने इस परियोजना के लिए सरकार से तत्काल ध्यान देने की अपील की है।

रक्षा के लिए लाभ

यह सड़क भारतीय सेना के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि इससे लेह और लद्दाख के अग्रिम क्षेत्रों में सैन्य आवागमन अधिक सुगम होगा। इससे न केवल सेना की गतिशीलता में वृद्धि होगी बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी।

स्थानीय गद्दी समुदाय और लाहौल के लिए लाभ

यह नया मार्ग गद्दी समुदाय के लाखों लोगों के लिए वरदान साबित होगा जो लाहौल जाने के लिए वर्तमान मार्गों पर निर्भर हैं। गद्दी समुदाय के लोग अपने इष्ट देवता केलंग के दर्शन के लिए और अपनी भेड़-बकरियों के साथ यात्रा करते हैं, इस नए मार्ग से उनकी यात्रा अधिक सुरक्षित और त्वरित हो जाएगी।

पर्यटन और आर्थिक विकास के लिए लाभ

यह सड़क लाहौल-स्पीति की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक समृद्धि को और अधिक पर्यटकों के लिए सुलभ बना देगी। इससे स्थानीय व्यवसायों और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। यह मनाली से सीधे जुड़ने के कारण यात्रा के विकल्पों में भी वृद्धि करेगा, जिससे पर्यटन क्षेत्र में नई गति प्रदान होगी।

इस तरह, कुगति-लाहौल मार्ग का निर्माण न केवल हिमाचल प्रदेश के लिए बल्कि भारतीय सेना और स्थानीय समुदायों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होगा।