हिमाचल प्रदेश में इस बार हो रही बर्फबारी की कमी का मुख्य कारण आर्कटिक ऑसिलेशन और अल नीनो का असर हो सकता है, इसकी चेतावनी मौसम विभाग के डायरेक्टर सुरेंद्र पॉल ने की है।
पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने की संभावना कम होने के संकेत में, पॉल ने बताया कि उत्तरी ध्रुव में हवा बेहद कम है और कम दबाव का क्षेत्रफल भी हावी है, जिससे पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होता है। इस साल यह क्षेत्रफल हावी नहीं है, जिससे हवाएं आगे की ओर नहीं बढ़ रही हैं।
इससे आने वाली हवाएं उत्तरी ध्रुव की ओर से ठंडी और भूमध्य सागरीय क्षेत्र से नहीं आ रही हैं, जिससे बर्फबारी में कमी हो रही है। मौसम निदेशक ने बताया कि इसका असर प्रशांत सागर में भी दिखा जा रहा है, जहां तापमान सामान्य से अधिक है।
डायरेक्टर सुरेंद्र पॉल ने बताया कि आर्कटिक ऑसिलेशन, जो एक प्रकार का पर्वतीय हवा है, ने इस साल हिमाचल प्रदेश में सर्दी को दरकिनार कर दिया है। उत्तरी गोलार्ध में उत्पन्न इस वायुमंडल ने शीतल सर्दियों को अपने साथ नहीं लाए, जिसके कारण बर्फबारी में कमी हो रही है।
इसके अलावा, अल नीनो नामक समुद्री उर्वरक का भी यहां परिणाम हो रहा है। अल नीनो के कारण पश्चिमी अर्धसागर में उच्च तापमान की स्थिति हो रही है और वायुमंडल में तापमान की वृद्धि को कम कर रहा है, जिससे उच्चतम और न्यूनतम तापमान में असमानता पैदा हो रही है। इससे मौसम परिवर्तनों में विविधता आ रही है और बर्फबारी में कमी हो रही है।
डायरेक्टर सुरेंद्र पॉल ने बताया कि इस बार हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में बर्फबारी की कमी हो रही है, जिससे आने वाले दिनों में पानी की दिक्कत हो सकती है। इसका असर खेती और बागवानी पर भी पड़ सकता है।
आर्कटिक ऑसिलेशन और अल नीनो
आर्कटिक ऑसिलेशन और अल नीनो दोनों ही महत्वपूर्ण जलवायु प्रणाली के घटक हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में मौसम परिवर्तन में अधिकारी हैं।
- आर्कटिक ऑसिलेशन:
- आर्कटिक ऑसिलेशन एक प्रकार का पर्वतीय हवा है जो उत्तरी गोलार्ध में बनता है।
- इसका मुख्य कारण है सर्दी के क्षेत्रों में उत्पन्न उच्च दाब और शीतल सर्दीयाँ।
- आर्कटिक ऑसिलेशन वायुमंडल में शिकंजे के क्षेत्र को बढ़ावा देता है, जिससे उत्तरी इलाकों में सर्दी का मौसम बनता है।
- अल नीनो:
- अल नीनो एक समुद्री उर्वरक (oceanic phenomenon) है जो पश्चिमी अर्धसागर में होने वाली उच्च तापमान की स्थिति है।
- अल नीनो वायुमंडल में तापमान की वृद्धि को कम करता है, जिससे उच्चतम और न्यूनतम तापमान में असमानता पैदा होती है।
- यह वायुमंडल में बदलाव के कारण विभिन्न क्षेत्रों में बर्फबारी, बारिश, और अन्य मौसम परिवर्तनों का कारण बनता है।
इन दोनों के संयोजन से मौसम परिवर्तनों में सुधार हो सकता है, और इनका समय-समय पर मौसम पूरी दुनिया में बदल सकता है।