हिमाचल प्रदेश के धर्मिक महोत्सव मणिमहेश यात्रा के दौरान एक गंभीर समस्या का सामना किया जा रहा है। यात्रा के समय लगाए जाने वाले लंगरों की संख्या में बड़ी वृद्धि हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय लोगों को अपनी दुकानें स्थापित करने के लिए भी जगह नहीं मिल रही है।
पूर्व वन मंत्री श्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने इस समस्या को उठाते हुए बताया कि मणिमहेश यात्रा के दौरान पहले जिन स्थानों पर एक या दो लंगर लगाने वाले आते थे, वहां अब उन लंगर वालों के विघटन से उनकी अनेक टोलिया बन गई हैं। इसके परिणामस्वरूप स्थानीय लोगों को अपनी दुकानें स्थापित करने के लिए जगह नहीं मिल रही है।
उन्होंने कहा कि मणिमहेश यात्रा का रास्ता वन्यजीवों के संरक्षण के क्षेत्र में स्थित है। इस क्षेत्र में स्थायी संरचना की अनुमति नहीं है। लेकिन लंगर वालों ने यहाँ पर स्थायी संरचना कर के अधिकतर जगह पर कब्जा कर लिया है, जिससे बहुत से स्थानीय लोग बिना जगह के ही रह गए हैं।
मणिमहेश यात्रा हिमाचल प्रदेश के धर्मिक महोत्सवों में से एक है और इसे वार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है। इस यात्रा में लाखों भक्त और पर्यटक हर साल मणिमहेश कैलाश के दर्शन करने के लिए आते हैं। यह यात्रा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और हिमाचल प्रदेश के पर्यावरण को भी प्रभावित करती है। इसलिए, इस यात्रा के आयोजन को सुविधाजनक और पर्यावरण के लिए हानि नहीं पहुंचना चाहिए।
हाल के दिनों में मणिमहेश यात्रा के दौरान लंगरों की संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। इनकी बढ़ती संख्या के कारण कई मुश्किलें खड़ी हो गईं हैं। साफ सफाई से लेकर स्थानीय लोगों के लिए जगह की कमी तक दिककते पेश या रहीं हैं ।
इस मुद्दे को और भी गंभीरता से देखते हुए, ठाकुर सिंह भरमौरी ने लंगर वालों को आगाह किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि वे यात्रीयों के लिए शोचालय बनवाएं और साफ सफाई का भी ध्यान दें। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन द्वारा लंगर वालों से यह लिखित में लेना चाहिए कि वे लंगर की जगह को साफ रखेंगे व वहाँ सफाई करेंगे।
ठाकुर सिंह भरमौरी ने इस मुद्दे को भी उठाया कि मणिमहेश यात्रा के दौरान लंगर व अन्य दुकाने मणिमहेश नाले के एक ही तरफ लगती हैं लेकिन यह मणिमहेश नाले के दोनों किनारों पर लगने चाहिए ताकि यात्रीयों को असुविधा ना हो। इसके अलावा, साफ-सफाई के लिए भी कई प्रयास किए जाएं ताकि पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचे।
ठाकुर सिंह भरमौरी का कहना है कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यात्रा के समापन के बाद लंगर वालों द्वारा लंगर क्षेत्र को पूरी तरह से साफ किया जाना चाहिए। वे यह भी सुनिश्चित करने की सलाह देते हैं कि लंगर वाले यात्रियों की आवश्यकताओं को समझते हुए सुविधाएं प्रदान करें और स्वच्छता का भी ख्याल रखें।
आशा है कि इससे मणिमहेश यात्रा का आयोजन सुविधाजनक और पर्यावरण के लिए हानि नहीं पहुंचाने वाला होगा।