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इस विस क्षेत्र में पुराने प्रत्याशी से कोई भी नहीं जीत पाया अपना पहला चुनाव

रोजाना24,चम्बा 06 दिसम्बर : 08 दिसम्बर 2022 को नई विस के लिए उम्मीद्वारों का चयन हो जाएगा। हर विस चुनाव को लेकर कई रोचक आंकड़े मौजूद हैं । आज हम चम्बा जिला के संदर्भ में कुछ रोचक आंकड़े प्रस्तुत कर रहे हैं।

भारतीय चुनाव आयोग अनुसार प्रदेश की पहली विस चुनाव 1951 के वक्त भी जिला में पांच विस क्षेत्र थे लेकिन उस समय बनीखेत/डलहौजी विस क्षेत्र अस्तित्व में नहीं था । उस समय पांगी, चुराह,चम्बा,भटियात व भरमौर विस क्षेत्र हुआ करते थे । जिसके उपरांत वर्ष 1967 में हुए विस चुनावों में पांगी विस क्षेत्र के भरमौर में समाहित कर दिया गया और बनीखेत नामक नई विस का गठन किया गया।

खैर यह सामान्य जानकारी थी । प्रदेश के इन तेरह विस चुनावों के शुरुआती चुनावों में उतरे सभी प्रत्याशी पहली बार चुनाव लड़ रहे थे । हिमाचल प्रदेश की प्रथम विस के लिए चुने जाने का गौरव भी उन्हें ही प्राप्त है लेकिन आगामी चुनावों में पुराने प्रत्याशियों के सामने कुछ नये प्रत्याशियों ने भी ताल ठोकी और उनमें से कई अपने पहले ही चुनाव में राजनीति में जमे जमाए पुराने प्रत्याशियों को हराने में कामयाब हुए । आज हम चम्बा जिला के पांचों विस क्षेत्रों से ऐसे ही प्रत्याशियों को आपके सामने लाएंगे जिन्होंने अपने पहले ही चुनाव में पुराने प्रत्याशियों को हराया है।

चुराह विस क्षेत्र जोकि 1967 के चुनावों में राजनगर बन गया, में 1951,1967 व 1972 के चुनाव लगातार कांग्रेस प्रत्याशी विद्याधर ने जीते। जबकि वर्ष 1977 के चुनावों में जनता पार्टी की ओर से राजनगर विस क्षेत्र से चुनाव मैदान में मोहन लाल उतरे तो उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन के पहले ही चुनाव में प्रदेश की राजनीति 26 वर्षों से जमे विद्याधर को 4367 के मुकाबले 9848 मतों से पराजित कर दिया। इस प्रकार मोहन लाल का अपने पहले ही चुनाव में जीत हासिल करने का रिकॉर्ड बना लिया । इसी विस में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र भारद्वाज ने 2003 के चुनावों में मोहन लाल को और राजनगर से फिर चुराह नाम में बदली इस विस में भाजपा प्रत्याशी हंस राज ने भी 2012 में अपने पहले ही विस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को हरा दिया। इस प्रकार चुराह/ राजनगर विस में मोहन लाल, सुरेंद्र भारद्वाज व हंस राज ऐसे प्रत्याशी हुए जिन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा जीत से शुरू की।

भटियात विस क्षेत्र में 1951 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जयवंत राम,1967 में भारतीय जनसंघ के आई. सिंह, 1972 में कांग्रेस की पदमा ने चुनाव जीते लेकिन इनके प्रतिद्वंदी भी उनकी तरह पहली बार विस चुनाव लड़े थे। लेकिन 1977 के चुनावों में जनता पार्टी की ओर से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे शिव कुमार ने जगदीश चंद को हरा दिया। इसके बाद 1985 के विस चुनावों कांग्रेस के नये उम्मीदवार कुलदीप सिंह पठानिया ने भी अपने पहले ही चुनाव में अपने निर्दलीय प्रतिद्वंदी शिव कुमार हरा दिया । जबकि 2012 के विस चुनावों भाजपा ने नये चेहरे के रूप में उतारे नये प्रत्याशी विक्रम सिंह जरयाल ने कांग्रेस के कुलदीप पठानिया को पराजित कर अपना राजनीतिक जीवन विजय से आरम्भ किया। इस विस क्षेत्र में शिव कुमार, कुलदीप पठानिया व विक्रम जरयाल ने अपने पहले ही चुनाव में अनुभवी प्रत्याशियों को हराया है।

बनीखेत विस क्षेत्र के प्रथम चुनावों 1967 व 1972 में कांग्रेस प्रत्याशी देश राज विधायक बने लेकिन 1985 के चुनावों में कांग्रेस द्वारा उतारी गई महिला प्रत्याशी आशा कुमारी ने अपने पहले ही चुनाव मुकाबले में सीपीआई प्रत्याशी दौलत राम को भारी मतों के अंतर से पराजित कर अपना राजनीतिक जीवन आरम्भ किया तो अगले ही विस चुनाव 1990 में भाजपा की ओर से उतारे गए नये प्रत्याशी गंधर्व सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी आशा कुमारी पटखनी देकर पहले ही चुनाव में जीत हासिल करने का रिकॉर्ड भी बन लिया। इस प्रकार बनीखेत विस जो अब डलहौजी विस के नाम से जानी जाती है में आशा कुमारी व गंधर्व सिंह ने अपने प्रथम चुनाव में ही धाकड़ों को पराजित किया है।

चम्बा विस क्षेत्र में वर्ष 1951 के विस चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी छतर सिंह व 1967,1972,1977 के विस चुनावों में किशोरी लाल विधायक चुने गए । जबकि वर्ष 1993 में कांग्रेस प्रत्याशी हर्ष महाजन ने अपने पहले ही विस चुनाव में भाजपा के धाकड़ प्रत्याशी कीशोरी लाल को हरा दिया। चम्बा विस क्षेत्र में हर्ष महाजन इकलौते प्रत्याशी हैं जिन्होंने अपने पहले ही विस चुनाव में अनुभवी प्रत्याशी को हराया है।

भरमौर विस क्षेत्र में वर्ष 1951 निर्दलीय प्रत्याशी गुरदित्ता मल विधायक बने । 1967 में स्वतंत्रता पार्टी के राम चंद ने कांग्रेस के श्री राम को पराजित किया 1972 के विस चुनाव में कांग्रेस के श्री राम ने राम चंद को पराजित कर दिया। 1977 राम चंद ने पहली बार चुनाव लड़ रहे निर्दलीय प्रत्याशी ठाकर सिंह को पराजित कर दिया। ठाकर सिंह भरमौरी का यह पहला विस चुनाव था। इसके बाद ठाकर सिंह ने 1982 व 1985 में लगातार दो बार विस चुनाव जीते । 1985 में तुलसी राम शर्मा ने भी राजनीति जीवन की शुरुआत कर दी थी और वे भाजपा के लिए पहला चुनाव हार गए थे। जिसके बाद वर्ष 2017 के विस चुनावों तक ठाकुर सिंह भरमौरी 10 विस चुनाव लड़ चुके हैं जिनमें वे 5 बार विजयी रहे हैं ।इस बीच भाजपा एक नये प्रत्याशी जिया लाल भी पहला चुनाव ठाकर सिंह भरमौरी से हार गए। भरमौर विस में अब तक ऐसा कोई प्रत्याशी नहीं हुआ जिसने अपने पहले ही विस चुनाव में किसी पुराने प्रत्याशी को मात दी हो।

बहरहाल विस चुनाव 2022 में पुराने प्रत्याशी ठाकुर सिंह भरमौरी के मुकाबले इस बार अपना पहला चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी डॉ जनक राज कड़ी चुनौति बन कर खड़े दिख रहे हैं। डॉ जनक राज के अलावा इस समय पुराने प्रत्याशी ठाकुर सिंह भरमौरी के सामने प्रकाश चंद भारद्वाज, रसीला राम व पूजा नामक प्रत्याशियों ने भी अपना पहला ही चुनाव जीतने के लिए कड़ी मेहनत की है।

अब यह तो आठ दिसम्बर को मतगणना के बाद ही पता चलेगा कि भरमौर विस क्षेत्र से किसी अनुभवी प्रत्याशी के विरुद्ध अपना पहला चुनाव लड़ने वाला कोई प्रत्याशी चुनाव जीत कर इतिहास बना पाता है या नहीं । (मनोज ठाकुर)

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