विजयादशमी पर आरएसएस ने किया पथ संचलन,लोगों ने फूल बरसाकर किया स्वागत

रोजाना24,चम्बा 05 अक्तूबर : आज देश भर में विजयादशमी का पर्व मनाया जा रहा है। भरमौर क्षेत्र में इस अवसर पर सामान्यत: किसी कार्यक्रम का आयोजन नहीं होता लेकिन आरएसएस ने अपने स्थापना दिवस पर पथ संचलन कर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है ।

पथ संचलन कार्यक्रम में मुख्यातिथि के तौर पर पूर्व सैनिक छज्जू राम शर्मा ने आरएसएस संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार,भारत माता की तस्वीरों व शस्त्रों का पूजन किया तत्पश्चात अपने गणवेश (वर्दी) में सजे स्वयं सेवकों ने मुख्य बाजार से होते हुए मुख्यालय में पथ संचलन किया । इस दौरान ग्रामीणों ने स्वयं सेवकों पर फूल बरसा कर उनका स्वागत किया ।

इस अवसर पर मौजूद संगठन के विभाग प्रमुख ने चौरासी मंदिर परिसर में मौजूद संगठन के स्वयं सेवकों व सामान्य नागरिकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि विजयादशमी का त्यौहार बुराई पर अच्छाई कई विजय के रुप में मनाया जाता है। 96 वर्ष पूर्व राष्ट्र की अखंडता व सामाजिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए यह संगठन अस्तित्व में आया था । उन्होंने कहा कि सभी हिन्दु देवी देवताओं के हाथ में शस्त्र मौजूद होते हैं जोकि किसी पर आक्रमण के लिए नहीं अपितु स्वयं व अपने साधकों को हानि पहुंचाने पर रक्षा के लिए उपयोग किए जाते हैं ठीक वैसे ही स्वयं सेवकों के पास भी संकेतात्मक शस्त्र  के रुप में एक दंड (लठ्ठ) रहता है जोकि राष्ट्र पर विपत्ति पर सहायता के रूप में उपयोग होता है । स्वयं सेवक विजय दशमी पर अपने इन्हीं शस्त्रों की पूज़ा करते हैं ।

उन्होंने कहा कि आरएसएस देश में ऊंच-नीच, जात-पात, अमीर-गरीब के भेद को समाप्त कर सबको राष्ट्र सेवा के लिए एकजुट रहने का संदेश देता है ।उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में कोई विशेष लोग नहीं बल्कि इसी समाज के सामान्य लोग हैं जो आपसे आए दिन वार्तालाप करते,मिलते जुलते हैं । संगठन में शामिल होने पर किसी की जाति,धर्म,अमीर,गरीब नहीं पूछा जाता। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यहां मौजूद स्वयं सेवकों के भोजन की व्यवस्था  किसी व्यक्ति विशेष द्वारा नहीं की जाती बल्कि स्थानीय अनेक घरों से पका हुआ भोजन एकत्रित कर परोसा गया है । भोजन किस जाति के व्यक्ति के हर आया, किस जाति अथवा धर्म का स्वयं सेवक इसे परोस रहा है व किस धर्म व जाति के व्यक्ति के साथ बैठकर भोजन किया जा रहा है इस बारे में कोई किसी को न पूछता है व न ही किसी को जानने की रूचि है । संगठन के स्वयं सेवी देश के सभी नागरिकों को एक समान अपने परिवार की भांति देखते हैं । इसलिए सब लोगों को मिलकर राष्ट्र सेवा के लिए आगे आना चाहिए।

चौरासी मंदिर प्रांगण में हुए इस कार्यक्रम को देखने के लिए स्थानीय लोगों व पर्यटकों ने भी गहरी रूचि दिखाई। लोग इस संगठन की कार्यशैली,गतिविधियों व इससे जुड़े लोगों को अपने तरीके से समझने व आकलन करने का प्रयास कर रहे थे ।