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बदहाली ! दलदल व फिसलन भरा रास्ता,पहाड़ी से गिरते पत्थर भी नहीं रोक पाए जिगर के टुकड़े का टीकाकरण करवाने निकलीं इन माताओं के कदम

रोजाना24, चम्बा 21 सितम्बर : बच्चों का टीकाकरण बेहद आवश्यक है और इस आवश्यक कार्य के लिए नवजातों की माताएं अपनी जान भी जोखिम मे डालने से पीछे नहीं हटीं । स्वास्थ्य खंड  भरमौर में पैरामैडिकल स्टाफ की कमी, आंगनवाड़ी व आशा वर्करज की लापरवाही के कारण आज ग्राम पंचायत सहल्ली के नवजातों व उनकी माताओं को जान जोखिम में डालनी पड़ी।

क्षेत्र में आज सुबह से भारी वर्षा जारी है। जिस कारण सड़कों व रास्तों पर पत्थर भी गिर रहे हैं। मौसम के ऐसे हालात में प्रशासन अक्सर घर से बाहर न निकलने की हिदायत जारी करता है । लेकिन आज एक ओर वर्षा व दूसरी ओर बच्चों के टीकाकरण का दिन निर्धारित होने के कारण प्रसूताओं को अपने नवजात को मीलों दूर दुर्गैठी नामक स्थान पर स्थित स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाना पड़ा।

गौरतलब है कि ग्राम पंचायत सैहल्ली के इसी गांव व सुनकर गांव की सड़क से दूरी करीब चार किमी है। जबकि सड़क से करीब आठ किमी की दूरी पर दुर्गैठी स्थित स्वास्थ्य केंद्र है। सैहल्ली गांव में इस समय करीब सात प्रसूताएं हैं। जिनके दस दिन से कुछ माह तक की आयु वर्ग के नवजात हैं। भविष्य में बीमारियों से बचाने के लिए उनका टीकाकरण अनिवार्य है। लेकिन टीकाकरण के लिए सरकार क्या व्यवस्था दे रही है इसका प्रमाण आज सामने आया । जब ग्राम पंचायत सहल्ली की पूजा,सोमा,रजनी, बीना व चिकणी नामक प्रसूताएं अपने नवाजात का टीकाकरण करवाने निकलीं। वर्षा के दौरान फिलन भरे पैदल मार्ग पर कहीं कहीं पत्थर गिर रहे थे तो कहीं दलदल था। शिशुओं को गोद में लिए यह माताएं उनका टीकाकरण करवाने पहले चार किमी पैदल चलकर सड़क तक चलने के बाद उन्होंने एक हजार का किराया देकर टैक्सी से स्वास्थ्य केंद्र पहुंची। टीकाकरण के बाद बाद वे फिर उसी हालात में घर लौटीं।

इन महिलाओं ने कहा कि उनका स्वास्थ्य केंद्र से बहुत दूर है व कोई उपस्वास्थ्य केंद्र भी नजदीक नहीं है। मौसम व विषम हालात के बावजूद उन्हें निर्धारित दिवस पर अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए दुर्गेठी स्थित स्वास्थ्य केंद्र पर टीकाकरण के लिए ले जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि विभाग, पंचायत प्रतिनिधियों,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से लेकर आशा वर्करज तक से वे सहल्ली गांव में टीकाकरण करवाने की मांग कर चुके हैं लेकिन समस्या को सुनने व समझने को कोई तैयार नहीं है। ऐसे हालात में जहां प्रसूता स्वयं चलने फिरने व अन्य कार्य करने में असमर्थ होती हैं उस परिस्थिति में यह मीलों पहाड़ी रास्तों पर चलते हुए अपने नवजातों की बीमारी से रक्षा कर रही हैं।

इस मामले में हमने खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ अंकित शर्मा से बात की तो उन्होंने कहा कि अलग अलग आयु वर्ग के शिशुओं के लिए अलग-अलग वैक्सीन लगाई जाती है।विभाग के पास पैरामैडिकल स्टाफ की भा कमी है ऐसे में नवजातों की संख्या कम होने के कारण एक ऐसा स्थान चयनित करना पड़ता है जहां आसपास के सब नवजातों को एक ही दिन में वैक्सीन लगाई जा सके । अन्यथा एक बार खुलने के बाद वैक्सीन अगले दिन उपयोग योग्य नहीं रहती। उन्होंने कहा कि आशा वर्करज या आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मौसम के कारण खराब रास्तों की जानकारी समय पर दे देतीं तो वे उक्त पंचायत के बच्चों के टीकाकरण के लिए अगले दिवस पर व्यवस्था कर सकते थे । उन्होंने आशा सभी  वर्करज को निर्देश दिए कि दूर दराज के गांव में नवजात व गर्भवतियों के टीकाकरण से पूर्व मौसम व रास्तों व अन्य हालात की जानकारी समय रहते प्रदान करें ताकि उनके लिए विशेष प्रबंध किए जा सकें।

बहरहाल गांवों के लिए सड़क सुविधा व नजदीक उपस्वास्थ्य केंद्र न होने के कारण इस जनजातीय क्षेत्र के हजारों लोगों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिनका समाधान इस विस कार्यकाल में भी नहीं हो पाया है।

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