रोजाना24,चम्बा 15 मार्च : देश की व्यवस्था को चलाने के लिए प्रधान मंत्री के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार की जिम्मेदारी है तो प्रदेश के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार की जिम्मेदारी है ठीक इसी प्रकार एक सरकार तीसरे चरण पर कार्य करती है जिसे ग्राम पंचायत के नाम से जाना जाता है और लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई है।
एक ओर केंद्र और राज्य में सरकारें चलाने वाले जनप्रतिधियों की राजनीतिक शक्तियां व्यवहारिक रूप से बढ़ती जा रही हैं तो वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायत स्तर की सरकार चलाने वाले जनप्रतिनिधियों की शक्तियां बढ़ना तो दूर अधिनियम के तहत मिली शक्तियों को भी प्रयोग नहीं कर पा रहे ऐसा मानना है भरमौर विकास खंड के विभिन्न पंचायतों के प्रधानों का ।
पंचायती राज अधिनियम की शक्तियों को बचाये रखने के लिए पंचायत प्रधानों को भी अपना संगठन बनाना पड़ रहा है । विकास खंड भरमौर में आज ब्लॉक स्तर पर ग्राम पंचायत प्रधान संगठन बनाने के लिए बैठक का आयोजन हुआ। जिसमें प्रधान ग्राम पंचायत खणी श्याम सिंह ठाकुर संगठन का प्रधन पद के लिए चुना गया । चूंकि आज भरमौर विकास खंड की 31 पंचायतों से 16 पंचायत प्रधान ही पहुंचे थे इसलिए निर्णय हुआ कि युनियन की कार्यकारिणी का गठन 25 मार्च को गरोला स्थित वन विभाग के विश्राम गृह में किया जाएगा।
चौरासी मंदिर परिसर में आयोजित हुई ग्राम पंचायत प्रधानों की बैठक में इन प्रतिनिधियों की शिकायत थी कि उच्चाधिकारी उनके अधिकार क्षेत्र के कार्यों में हस्ताक्षेप करके पंचायत के विकास कार्यों को प्रभावित कर रहे हैं । पंचायत प्रधानों का कहना हैं कि वित्त वर्ष 2021-22 में 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत पंचायतों को स्वीकृत राशि डीएससी प्रणाली चालू न हो पाने के कारण खर्च नहीं हो पाई है जिस कारण पंचायतों को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए इस मद में मिलने वाली राशि में 50 फीसदी की कटौती की गई है। पंचायत प्रधानों ने कहा कि 15वें वित्त आयोग के रुके हुए कार्यों को विकास खंड कार्यालय से जल्द पूरा किया जाए।
उन्होंने कहा कि एलएडीसी के तहत पंचायतों को मिलने वाली राशी सीधे पंचायत को जारी करने के बजाए उनसे विकास कार्यों के प्रस्ताव मांगे जा रहे हैं जबकि पंचायतें स्वयं कार्य करने में सक्षम हैं। उन्होंने मनरेगा के कार्यों में प्रयुक्त होने वाली सामग्री के लिए खंड विकास विभाग द्वारा निविदा आमंत्रित करने के फैसले का भी विरोध किया । पंचायत प्रतिनिधियों का कहना था कि यह निविदायें पंचायतें अपने स्तर पर आमंत्रित करेंगी।
अधिकारियों के अनावश्यक दबाव के आगे अब पंचायत प्रधान झुकना नहीं चाहते इसलिए वे संगठित होकर अपनी आवाज अधिकारियों के सामने रखना चाहते हैं ।