रोजाना24,चम्बा 14 अगस्त : चौरासी एक संख्या निमित मात्र नहीं है बल्कि यह पहचान है धरती पर एक साथ 84 मंदिरों के समूह की। जोकि हिप्र के चम्बा जिला के जनजातीय क्षेत्र में हैं। अपनी तरह के इकलौते इस चौरासी मंदिर समूह की पहचान को लोनिवि द्वारा सौंदर्यीकरण के नाम हो रहा कार्य प्रयास मिटा सकता है।
भरमौर मुख्यालय स्थित प्रसिद्ध चौरासी मंदिर समूह परिसर में स्वच्छता व मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने के उद्देश्य से भरमौर प्रशासन ने पूरे परिसर को चार दीवारी लगाने का कार्य लोनिवि को सौंप रखा है लेकिन लोनिवि इस मंदिर समूह के एक मंदिर को चार दीवारी से बाहर रख रहा है जिससे स्थानीय लोग व पुजारी वर्ग नाराज है। स्थिति यह हो गई है कि विभाग द्वारा करवाए जा रहे कार्य पर हर रोज आपत्ति दर्ज करवाई जा रही है। एक ओर लोग मंदिर के बाहर से दीवार बनवाने के लिए अड़े हैं तो विभागीय अधिशाषी अभियंता ने दीवार कार्य तोड़ने का आरोप लगा दिया है।
अधिवक्ता करण शर्मा ने इस मामले में लोनिवि को एक शिकायत पत्र देकर शीतला देवी मंदिर को चार दीवारी के भीतर रखने की मांग की उन्होंने कहा कि विभाग ने अगर इस मंदिर को चार दीवार से बाहर रखा तो वे संघर्ष की राह पर उतर पड़ेंगे ।उन्होंने कहा कि पहले तो प्रशासन ने पुरातत्व विभाग के नियमों को ताक पर रखकर चौरासी मंदिर परिसर के आस पास कार्यालयों व सराय भवन का निर्माण करवाया व अन्य लोगों को भी करने दिए। अब जबकि परिसर के बाहर से रास्ता बनवाने के लिए जगह कम पड़ रही है तो एक मंदिर को ही परिसर से बाहर रखने की साजिश रच रहा है।
वहीं मंदिर पुजारी एवम लॉयर अभिषेक मिंटू ने कहा कि लोनिवि के अधिकारी हमारी हिन्दू धार्मिक आस्था, जनजातीय रिति रिवाजों व धार्मिक स्थलों के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं जोकि सहन नहीं किया जाएगा । उन्होंने कहा कि यह मंदिर समूह 84 मंदिरों का है और चार दीवारी लगाने का मकसद भी इस 84 मंदिरों को एक साथ रखकर इनका सौंदर्यीकरण करने का है ।अगर इस समूह से एक मंदिर अलग किया गया तो परिसर में 84 के बजाए 83 मंदिर ही रह जाएंगे जो इसके नाम को भी हानि पहुंचाता है। उन्होंने कहा कि इस धरोहर का नाम व पहचान ही छीन ली गई तो भावी पीढ़ियां हमें क्षमा नहीं करेंगी । उन्होंने लोनिवि अधिकारियों को दो टूक कहा है कि चार दीवारी इस मंदिर के बाहर से बनाएं अन्यथा लोग न्यायालय की शरण में जाने को बाध्य होंगे ।
क्यों बनाई जा रही है चार दीवारी ? मंदिर परिसर के चारों ओर दीवार लगाने का उद्देश्य परिसर में पशुओं व बेकार घूमने वाले लोगों को रोकना है ताकि मंदिर में धार्मिक वातावरण बना रहे। आस पास के मुहल्लों के लिए रास्ते मंदिर परिसर के बाहर से बनाये जाएंगे। स्थानीय लोग इन सब के लिए राजी है लेकिन मंदिर को परिसर से बाहर रहने देने के लिए राजी नहीं है।