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भरमौर में सड़क निर्माण के नाम पर अवैध खनन !

रोजाना24,चम्बा,27 अप्रैल : जनजातीय क्षेत्र भरमौर के संरक्षित वन क्षेत्र कुगति में खनन का मामला प्रकाश में आया है । सड़क उन्नयन में जुटी एक कम्पनी की मशीनरी हड़सर-कुगति सड़क मार्ग धरौंल के पास पहाड़ी को खोदते हुए पाई गई । पहाड़ी खोद कर निकले पत्थर बजरी व बालू को वहीं स्क्रीनिंग मशीन लगाकर अलग किया जा रहा है। और कम्पनी वहां से निकाले पत्थरों से शठली नाला में लगे क्रशर से बजरी व बालू भी बना रही है। बड़ी बड़ी मशीनों के द्वारा पहाड़ी के मुहाने को खोदा जा रहा है निकट भविष्य में यह हरी भरी पहाड़ी भूस्खलन की भेंट चढ़ सकती है। 

रोजाना24 जब मौके पर पहुंचा तो ऑपरेटर मशीन बंद करके बैठ गए। उनका कहना था कि जैसा एमसीसी कम्पनी अधिकारियों ने उन्हें कहा है वे उसी के अनुरूप कार्य कर रहे हैं । 

कम्पनी के बड़े अधिकारी विनीत पटियाल ने इस बारे में कहा कि वे लोनिवि की अनुमति से उनके नियमों के अनुसार कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सड़क की चौड़ाई के लिए की जा रही कटिंग से निकले पत्थरों का उपयोग वे क्रशर से एग्रीगेट व बालू तैयार करने में कर रहे हैं । वे अवैध खनन करने से ही मुकर गए ।

उधर कम्पनी के क्रशर लगाने पर भी कुछ स्थानीय लोगों ने आपत्ति दर्ज करवाई है । स्थानीय लोगों का मानना है कि क्रशर उपस्वास्थ्य केंद्र व उच्च विद्यालय के समीप सड़क पर लगाया गया है । जोकि नियमों के विरुद्ध है ।

गौरतलब है कि सरकार द्वारा जनजातीय क्षेत्र भरमौर के कुछ मुख्य सड़क मार्गों के उन्नयन का कार्य करवाया जा रहा है । यह कार्य एमससी नामक कम्पनी द्वारा किया जा रहा है ।प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत हो रहे इस कार्य की देखरेख लोनिवि के जिम्मे है ।

 इस पर अधिशाषी अभियंता लोनिवि संजीव महाजन ने कहा कि कम्पनी से विभाग के हुए अनुबंध के अनुसार कार्य करवाया जा रहा है । विभाग ने कम्पनी को अवैध खनन की अनुमति नहीं दी है । कम्पनी क्रशर में केवल उन्हीं पत्थरों का उपयोग करने की अनुमति है जो कि सड़क की चौड़ाई की कटिंग के दौरान निकले हों ।

चूंकि खनन वन भूमि में हो रहा था तो इस बारे में वन मंडल अधिकारी भरमौर सन्नी वर्मा से भी उनका पक्ष जाना गया तो उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी में अभी मामला नहीं आया है अगर कोई अवैध खनन करता पाया जाता है तो उसके विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी ।

ऐसा भी नहीं है कि मामले की जानकारी प्रशासन को न हो क्योंकि पर्यावरण,संरक्षित वन क्षेत्र, वन्य प्राणी संरक्षित क्षेत्र प्रसिद्ध कार्तिक मंदिर व जैविक गांव कुगति जैसे महत्वपूर्ण स्थानों के काऱण प्रशासनिक अधिकारी व राजनेता तक इस मार्ग से कई बार गुजर चुके हैं । मामला उनकी नजर में नहीं आया यह जानबूझकर नजरंदाज किया जा रहा है यह लेगों को अखर रही है।

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