उत्पादन बढ़ाने के लिए मिट्टी का परीक्षण जरूरी – संजीव

रोजाना24, ऊना 25 मार्च : विकास खंड उना के अंतर्गत कृषि विभाग ने मिट्टी स्वास्थ्य प्रबंबन को बढ़ावा देने के लिए मार्च माह में 20 मिट्टी प्ररीक्षण शिविरों का आयोजन किया, ताकि किसान मिट्टी परीक्षण के आधार पर खादों का सन्तुलित उपयोग व फसलों का चयन कर सकें। मिट्टी परीक्षण की रिपोर्ट किसानों को ‘मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड’ पर उपलब्ध करवाई जाएगी। यह कार्ड किसानों को निःशुल्क उपलब्ध करवाए जाते हैं। शिविरों का आयोजन ग्राम पंचायत बटूही, घंडावल, देहलां, बीनेवाल, पूना, मलूकपुर, फतेहपुर, चड़तगड़, जुडोवाल, फतेहवाल, नंगड़ा, खानपुर, बसाल, बसोली, मदनपुर, मजारा, मैहतपुर, बदौली व सासन शामिल है। इन शिविरों में 1200 किसानों को सब्जियों व जैव उर्वरक भी बांटे गए।

यह जानकारी देते हुए डॉ. संजीव कुमार कृषि विषयवाद विषेषज्ञ ऊना ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना वर्ष 2015 से आरंभ हुई, जिसका उद्देश्य फसलों में पोषक तत्वों की कमी की भरपाई, मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं को सुदृढ़ करना व मिट्टी की उर्वरकता संबंधी समस्याओं का निदान करना है। सरकार इस  योजना की प्रगति की समीक्षा साप्ताहिक आधार और वेब आधारित मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल के माध्यम से कर रही है।

उन्होंने कहा कि उर्वरकों के संतुलित उपयोग हेतु मिट्टी का परीक्षण अति आवश्यक है। मिट्टी परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का संतुलित उपयोग किए जाने से फसलोत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि होती है। अच्छी उपज के लिए यह आवश्यक हो गया है कि प्रमुख तत्वों के साथ-2 गौण एवं सूक्ष्म तत्वों का प्रयोग भी मिट्टी परीक्षण के आधार पर किया जाए। किसानों की सुविधा के लिए जिले में विभाग की एक मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित हैं इसके अतिरिक्त एक मोबाइल परीक्षण प्रयोगशाला भी उपलब्ध करवाई गई है।

उन्होंने आगे कहा कि भूमि से पोषक तत्वों के अधिक दोहन के कारण मृदा स्वास्थ्य में गिरावट आ रही है। हमारी फसलें जिस मात्रा में पोषक तत्वों का भूमि से अवशोषण कर रही हैं, किसान उस मात्रा में उसकी भरपाई नहीं कर रहे हैं। मिट्टी की उर्वरकता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि रसायनिक उर्वरकों, देसी खादों, हरी खादों व जैविक खादों का मिल-जुल कर प्रयोग किया जाए।