…तो बर्फ की परत से झांकती लकड़ियां चबाते, रात दीवारों की ओट में काटते हैं यह बेजुबान

रोजाना24,चम्बा 31जनवरी :  जनजातीय क्षेत्र भरमौर में इन दिनों धरती पर बर्फ की मोटी परत जमी है । तापमान शुन्य से नीचे है। शरीर का कोई अंग चन्द मिनट कपड़े से बाहर रहे तो सुन्न होने लगता है। ऐसे मौसम में भरमौर उपमंडल में बेसहारा गौवंश चारे व आश्रय के लिए बर्फ भरे खेतों में इधर उधर भटक रहा है। ग्राम पंचायत औरा, भरमौर व सचूईं में बेसहारा गायें ठंड व भूख से बेहाल हैं।

चूंकि उपमंडल की भूमि बर्फ की मोटी चादर के नीचे दबी है इसलिए इन बेजुबानों को यहां धरती से चारा मिलना सम्भव नहीं है । ऐसे में यह गायें सारा दिन इधर उधर घूमते लोगों से खाने की कुछ उम्मीद करती हैं । कुछ लोग इनके लिए अपनी क्षमता अनुसार खाने के लिए कुछ दे देते हैं लेकिन जब कुछ नहीं मिलता तो वे बर्फ  की तह से निकली लकड़ियों को चबाकर ही गुजारा करने को विवश होती हैं । जब तक बर्फ नहीं गिरी थी तब तक जीवन के लिए जुझ रहा यह गोवंश इधर उधर मिट्टी से ही सही कुछ तो टटोल कर खा रहा था । लेकिन बर्फ गिरने के बाद पूरी धरती बर्फ से ढक गई है अब इनके पास न तो ठंड से बचने के लिए कोई कोई छत है व न ही पेट भरने के लिए कोई चारा। लाचार प्राणी कभी गांव के भीतर घुसते हैं तो वहां से भी इन्हें निकाल दिया जाता है। क्योंकि लोगों के पास अपने पाले हुुए मवेशियों के लिए भी पर्याप्त चारा नहीं है तो वे इन बिन बुलाए मेहमानों के लिए चारा कहां से दें। 

 ऐसा भी नहीं है कि सभी लोग संवेदनाहीन व निष्ठुर होंं । जिस से जो बन पाता है वे अपने स्तर पर इन गायों के लिए खाने के लिए दे भी रहे हैं। ग्राम पंचायत औरा के थला नामक गांव के युवक नारायण,अभिषेक व संजय भारद्वाज पिछले तीन माह से इन बेसहारा गौवंश के लिए चारे की व्यवस्था कर रहे हैं । इन युवको का कहना है कि तरेला-ढकोग सड़क मार्ग पर पहाड़ी की ओट में अक्तूबर माह तक करीब एक दर्जन मवेशी आश्रय लिए थे । लेकिन ठंड के कारण धीरे धीरे उनकी मृत्यु हो रही है अब इनकी संख्या यहां चार से छः ही बची है । इन युवकों ने कहा कि कभी वे अपने घर से सूखा चारा लाकर इन्हें दे रहे हैं तो कभी लोगों की मदद से खरीद कर चारे की व्यवस्था कर रहे हैं ।

 ग्राम पंचायत सचूईं के पूर्व उप प्रधान सुमन कुमार ने कहा कि वे भी इन गायों के लिए चारा दे रहे हैं लेकिन आश्रय के लिए कोई व्यवस्था न होने के कारण वे इनके लिए परेशान हैं। उन्होंने कहा कि लोगों द्वारा कभी कभार चारा उपलब्ध करवाना समस्या का स्थाई समाधान नहीं है इसलिए प्रशासन को इस बारे में तुरंत कोई प्रभावी कदम उठाना चाहिए।

 इस बारे में उपमंडलाधिकारी भरमौर मनीष सोनी ने कहा कि ऐसी ही अवस्था में गत वर्ष भी कुछ गायों को कांगड़ा जिला के इंदौरा स्थित गो सदन भेजा गया था। लेकिन कुछ स्थानीय लोगों के अवरोध के कारण सभी बेसहारा पशुओं को वहां नहीं भेजा जा सका था।उन्होंने कहा कि वे क्षेत्र के बेसहारा पशुओं को इंदौरा स्थित गौसदन भेजने की व्यवस्था कर रहे हैं शीघ्र ही इन्हें यहां से बचाया जाएगा।