रोजाना24,पठानकोट (समीर गुप्ता) : आज के दौर में पीठ दर्द(कमर दर्द ) की समस्या से हर वर्ग के लोग ग्रस्त हो रहे हैं । जो लोग अव्यवस्थित जीवन शैली अपनाए हुए हैं वे अधिक सख्या में इस रोग का शिकार हो रहे हैं । इस रोग से बचाव हेतु और यदि हम इससे ग्रस्त हैं तो उस स्थिति में हमे उपचार के लिए क्या करना चाहिए इसी को लेकर डा• ऋषभ गुप्ता, असिस्टेंट प्रोफेसर एवं हैड आफ डिपार्टमेंट आर्थोपेडिक्स , गवर्नमेंट मेडिकल कालेज , कठुआ ने विशेष वार्ता के दौरान विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि इस दर्द को अक्सर गर्दन दर्द, पीठ के उपरी हिस्से के दर्द,पीठ के निचले हिस्से के दर्द या टेलबोन के दर्द(रीढ़ के आखिरी छोर की हड्डी में) में विभाजित कर सकते हैं। यह अचानक होनेवाला दर्द या स्थाई दर्द भी हो सकता है; यह लगातार या कुछ अन्तराल पर भी हो सकता है, यह दर्द किसी एक ही जगह पर हो सकता है या अन्य हिस्सों में फ़ैल भी सकता है यह एक हल्का या तेज दर्द हो सकता है या इसमें छेदने या जलन की अनुभूति हो सकती है। यह दर्द भुजा और हाथ में, पीठ के उपरी या निचले हिस्से में फ़ैल सकता है, (और पंजे या पैर में फ़ैल सकता है) और दर्द के अलावा इसमें कमजोरी, सुन्न हो जाना या झुनझुनी जैसे लक्षण भी शामिल हो सकते हैं।
शारीरिक रचना की दृष्टि से पीठ दर्द को: गर्दन के दर्द, पीठ के ऊपरी हिस्से के दर्द, पीठ के निचले हिस्से के दर्द या टेलबोन के दर्द में विभाजित किया जा सकता है। डाक्टर गुप्ता ने बताया कि ऑफिस में घंटों कम्प्यूटर के सामने बैठना, लगातार खड़े होकर काम करना, गलत तरीके से भारी वजन उठा लेना या फिर लगातार दौड़-भाग करना, ऐसी स्थिति में कमर दर्द की शिकायत आम है कमर दर्द 35 से 55 वर्ष की आयु के बीच के लोगों में ज्यादा पाया जाता है।उन्होंने बताया कि एक समय था जब कमर दर्द की समस्या उम्र बढ़ने के साथ होती थी, लेकिन अब तो लाइफस्टाइल ही ऐसी है कि कमर दर्द की तकलीफ किसी भी उम्र मे ही सकती है । कमर दर्द में सामान्य तौर पर पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है, एक खिंचाव या अकड़न महसूस होती है। यह दर्द आमतौर पर गंभीर नहीं होता और कुछ दिनों, हफ्तों या फिर महीनों में ठीक हो जाता है। लेकिन तकलीफ उतने समय तक सेहनी पड़ती है। कमर की बनावट में मांसपेशियां, हड्डियां, डिस्क, जोड़, लिगामेंट, नसें आदि शामिल हैं। इनमें से किसी के भी विकार होने से कमर दर्द होने लगता है उन्होंने जानकारी दी कि ऐसा काम जो ज्यादा देर तक एक ही अवस्था में बैठकर करना पड़े या जिसमें हाथों का ज्यादा प्रयोग हो वे कमर दर्द की वजह बनते हैं। अन्य कारणों में ठीक से न बैठना, खड़ा होना, सही अवस्था में न सोना शामिल है। शरीर में मेटाबोलिक रसायनों की कमी कमर दर्द की तकलीफ दे सकती है। रीढ़ की बनावट में खराबी की वजह से या हड्डियों की सघनता में कमी आने से कमर दर्द की शिकायत हो सकती है। ऐसी स्थिति में रीढ़ की हड्डी पर अधिक दबाव पड़ता है जो दर्द के रूप में सामने आता है इसके अलावा गलत तरीके से उठना, बैठना, चलना-फिरना, टीबी, एंकाइलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस और रोजाना व्यायाम न करना भी इसके कारण हैं। डा• ऋषभ ने कहा कि ऐसे में कमर दर्द के लक्षण को पहचानना जरूरी है। पीठ पर सूजन, तेज और हर वक्त दर्द, ज्यादा देर तक बैठे रहने से या खड़े रहने से दर्द का और बिगड़ जाना, पीठ और नितंबों के आसपास सुन्न महसूस होना और कुछ मामलों में दर्द का पैरों व घुटनों तक फैलना शामिल हैं।कई बार दर्द की स्थिति में इसकी गंभीरता का पता लगाने के लिए एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई, जैसी जांच करा सकते हैं। कौन-सी नस पर अधिक दबाव पड़ रहा है इसकी जानकारी एमआरआई से मिल जाती है और इस जांच रिपोर्ट को सबसे उपयोगी माना जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि ऐसी किसी भी स्थिति में आने से बेहतर है कि कमर को स्वस्थ और मजबूत रखने की दिशा में काम करें। शारीरिक स्थिति में सुधार कर और शारीरिक अभ्यास कर कमर दर्द से बचा जा सकता है या इसकी पुनरावृत्ति रोकी जा सकती है।हर व्यक्ति को इससे बचने के लिए अपनी आदतों में बदलाव करने होंगे। ध्यान रखना होगा कि लंबे समय तक एक ही स्थिति में अधिक देर तक न बैठें। बहुत अधिक देर तक बैठना जरूरी हो तो थोड़ी-थोड़ी देर में उठें। झटके से न तो बैठें और न ही उठें। इस तरह से बैठे ताकि रीढ़ को सहारा मिले। जब भी झुकें तो रीढ़ की जगह घुटने मोड़ें। हमेशा सीधे खड़े रहें। रोजाना एक घंटा वर्कआउट जरूर करें। खाने में पौष्टिक आहार लें। हरी सब्जियां, फल, ड्राई फ्रूट, दूध व दही का सेवन करें। साथ ही कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ लें।
डाकटर गुप्ता ने पीड़ित लोगो को सलाह दी कि उन्हे कमर दर्द से आराम दिलाने वाले योग और एक्सरसाइज करनी चाहिए लेकिन ध्यान रहे कि इन्हें डॉक्टर की सलाह के बाद विशेषज्ञों की देखरेख में ही करें। जब भी बैठें या सोएं, तो अपनी पीठ को किसी तकिये या बैक रेस्ट से सपोर्ट दें। अपनी रीढ़ की हड्डी को हाइड्रेटेड और स्वस्थ रखने के लिए खूब पानी पिएं। अपनी स्थिति के अनुसार ज्यादा से ज्यादा गतिविधियां जारी रखें। हालांकि उन कामों से बचें जो दर्द बढ़ा रहा है। कई बार ओवर द काउंटर पैन किलर्स और गर्म सिकाई या बर्फ का इस्तेमाल करना पड़ सकता है। इसमें रोग की शुरुआती अवस्था में दवाओं, फिजियोथेरेपी आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इससे दर्द और मांसपेशियों की जकड़न कम करने में मदद मिलती है। इसके बाद विशेष प्रकार के व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। ट्रैक्शन और लम्बर बेल्ट लगाने से भी आराम मिलता है। याद रखें कि अगर कमर दर्द तीन महीनों से ज्यादा समय से हो तो यह क्रॉनिक हो जाता है। पीठ दर्द के रोगियों में केवल एक अल्पसंख्यक वर्ग को (अधिकांश का अनुमान 1% – 10% है) सर्जरी की आवश्यकता होती है।
आखिर में डाक्टर ऋषभ गुप्ता ने सभी को सलाह देते हुए कहा कि यदि हम संतुलित जीवन शैली अपनाते हैं तो इस रोग से काफी हद तक दूर रह सकते हैं ।