क्षय रोग की मृत्यु दर कोरोना संक्रमण के अनुपात से ज्यादा – उपायुक्त

रोजाना24,चम्बा ः क्षय रोग संक्रमित करने वाला रोग है जिसकी मृत्यु दर कोरोना वायरस के अनुपात से हुई मृत्यु से भी अधिक पाई गई है। उपायुक्त विवेक भाटिया ने यह बात आज बचत भवन में जिला स्तरीय क्षय रोग उन्मूलन समिति और जिला स्तरीय टीबी फोरम की बैठक के दौरान समिति के सदस्य सचिव एवं जिला क्षय रोग अधिकारी द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के बाद कही। उन्होंने बताया कि कॉविड- 19 के दौरान जिले में कोरोना से 5 मृत्यु हुई हैं जबकि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के अनुसार इस वर्ष जनवरी से लेकर अब तक चंबा जिला में क्षय रोग से 22 व्यक्तियों की मृत्यु हुई। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण को लेकर तो सभी एहतियातें बरतनी ही हैं लेकिन इसके अलावा क्षय रोग की गंभीरता के प्रति भी जागरुक होना होगा। उपायुक्त ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा इस रोग को जड़ से खत्म करने के मकसद से प्रदेश में मुख्यमंत्री क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम भी शुरू किया गया है जिसके तहत दिसंबर 2021 तक हिमाचल प्रदेश को इस रोग से मुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। उपायुक्त ने जोर देकर कहा कि स्वास्थ्य विभाग को विशेष अभियान चलाकर चंबा जिला को क्षय रोग से मुक्त करने के लिए प्रभावी कार्य योजना को अंजाम देने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि सामुदायिक सहयोग और जन आंदोलन का वातावरण तैयार करके क्षय रोग पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग लोगों को जागरूक करने के लिए प्रचार प्रसार के नए तौर-तरीकों का उपयोग करे ताकि क्षय रोग उन्मूलन की दिशा में उठाए जाने वाले सभी कदमों की जानकारी आमजन तक पहुंचना सुनिश्चित हो सके। उपायुक्त ने कहा कि लोगों को इस रोग की गंभीरता को इसलिए भी समझना जरूरी है क्योंकि अत्यधिक महंगी दवाइयां क्षय रोग उन्मूलन मुहिम के तहत निशुल्क उपलब्ध की जा रही हैं। उपायुक्त ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के बेहतर कार्यान्वयन में हिमाचल प्रदेश ने पूरे देश में चौथा स्थान हासिल किया है। पहले स्थान पर झारखंड, दूसरे पर सिक्किम और तीसरे पर तेलंगाना राज्य है। उन्होंने यह भी बताया कि निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी के गम्भीर रोगियों (एमडीआर) रोगियों को पोषण के लिए हर महीने 500 रुपए की राशि मुहैया की जाती थी जिसे अब 1500 रुपए महीना तय किया गया है जो रोगी को इलाज की अवधि तक प्रदान किया जाता है।अन्य रोगियों के लिए यह दर 500 रुपए प्रति महीना है। उपायुक्त ने क्षय रोग के एक्टिव केस फाइंडिंग मैकेनिज्म को और प्रभावी बनाने के लिए भी कहा ताकि समूचे जिले में क्षय रोगियों की पहचान सुनिश्चित हो सके। उन्होंने जिले में आधुनिक डायग्नोस्टिक तकनीक की सुविधाओं में विस्तार करने के भी निर्देश दिए ताकि टेस्ट की और बेहतर व्यवस्था उपलब्ध रहे। उपायुक्त ने बताया कि जिला के निजी मेडिकल प्रैक्टिशनरों के लिए भी यह बाध्यता है कि यदि वे किसी क्षय रोगी का इलाज कर रहे हैं तो उसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देनी होगी। ऐसा ना करने की सूरत में उनके खिलाफ कार्यवाही अमल में लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि यदि वे इस संबंध में नोटिफाई नहीं करते हैं तो उन्हें यह प्रमाण पत्र देना होगा कि वे किसी भी क्षय रोगी का इलाज अपने अस्पताल या क्लीनिक में नहीं कर रहे। उन्होंने यह भी कहा कि जिला के सभी केमिस्टों को भी इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के साथ जानकारी साझा करनी चाहिए। इसके लिए उन्हें 500 रुपए प्रति केस  प्रोत्साहन राशि भी मिलेगी। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ जालम सिंह भारद्वाज ने उपायुक्त को अवगत करते हुए कहा कि क्षय रोग पर जीत पार पा चुके क्षय वीरों को भी स्वास्थ्य विभाग और समुदाय के बीच एक सक्रिय लिंक के तौर पर शामिल किया जा रहा है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि कि क्षय रोग के फॉलोअप मरीजों को बस का आने- जाने का किराया भी विभाग द्वारा मुहैया किया जाता है। उन्होंने कहा कि 99 डॉट्स के तहत मरीज को दी जाने वाली दवाइयों को लेकर भी ऑनलाइन तरीके से निरंतर मॉनिटरिंग की जाती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि रोगी निश्चित किए गए शेड्यूल के मुताबिक दवाइयां ले रहा है। वर्तमान में चंबा जिला में क्षय रोग के 894 रोगी नोटिफाई किए जा चुके हैं जिनका इलाज चल रहा है। जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया  हिमाचल प्रदेश में टीबी मुक्त हिमाचल नामक ऐप भी तैयार की गई है। बैठक में पंडित जवाहरलाल नेहरू राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ मोहन सिंह, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ गुरमीत कटोच, पुलिस उपाधीक्षक अजय कपूर, समेत अन्य विभागीय अधिकारी और समिति के गैर सरकारी सदस्य भी मौजूद रहे।