छतराड़ी में खूब नाचा 'खप्पर गुड्डा', शिवशक्ति ने किया था संहार जिसका

रोजाना24,चम्बा : विश्व प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा का राधाष्टमी स्नान आज समाप्त हो गया.एक ओर जहां मणिमहेश यात्रा का समापन हुआ वहीं दूसरी ओर गद्दी संस्कृति की विरासत संजोए छतराड़ी घाटी के लोगों द्वारा आपसी भाईचारे के मिलन स्वरूप व देवी शक्ति को समर्पित तीन दिवसीय जातरों का शुभारम्भ हो गया.

मणिमहेश झील से लाए गये पवित्र जल  से शक्ति माता प्रतिमा का  अभिषेक किया गया.जिसके साथ ही यहां परम्परागत जातरों का आगाज भी हो गया.

कोरोना वायरस कोविड-19 के कारण लिए गए निर्णयों के कारण मेले में लोगों की उपस्थिति वर्जित रखी गई है.वार्षिक महोत्सव की परम्पराओं के निर्वहन के लिए रीति रिवाज निभाने के लिए आवश्यक पुजारी व लोगों द्वारा क्रियाकलाप किए जा रहे हैं.

आज पहली जातर खप्पर गुड्डा के नाम रही जिसमें सबसे पहले रथ यात्रा निकाली गई जिसमें देव प्रतिमाओं को गांव की परिक्रमा करवाई गई.इस रथ यात्रा के बाद शक्ति माता प्रांगण में खप्पर गुड्डा जातर आयोजित की गई.बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक खप्पर गुड्डा के बारे में कहा जाता है छतराड़ी घाटी में एक राक्षस ने दहशत मचा रखी थी जिससे छुटकारा पाने के लिए लोगों ने देवी शक्ति से प्रार्थना की और देवी ने राक्षस का वध कर लोगों को संकट से उबारा था.तब से यह जातर खुशी से मनाई जाती है.खप्पर गुड्डा में लकड़ी से राक्षसी चेहरे नुमा मुखौटे पहन कर लोग नृत्य करते हैं.जिस कई प्रकार के रोचक कृत्य किए जाते हैं.

पुजारी रोशन लाल,रंजीत,हांडू राम व रवि शर्मा बताते हैं कि यह सामान्य तौर पर शक्ति माता के नाम से जाने वाली यह देवी वास्तव में शिव शक्ति है.और नाम के अनुसार ही शक्ति माता के बाहर निकलने से पूर्व भगवान शिव की रथ बाहर  निकलता है.उन्होंने कहा कि इस प्रचीन धरोहर से को सबको रूबरू होना चाहिए लेकिन कोरोना वायरस की समस्या के कारण लोगों को इन मेलों से दूर रहने की अपील की गई है.उन्होंने कहा कि जातरों में केवल आवश्यक रीति रिवाज ही निभाए जा रहे हैं.