प्रतिनिधि भरमौर : भरमौर मुख्यालय में पानी की समस्या ने लोगों की नाक मे दम कर रखा है। कभी नलों में कीड़े आ जाते हैं तो कभी दिनभर के लिए पानी बिना सूचना के बंद कर दिया जाता है.
गत दिवस सोमवार को भी विभाग ने बिना किसी पूर्व सूचना के पानी के टैंको को साफ करने का मन बना लिया और भरमौर में पानी की सप्लाई बंद कर दी। लोग इस बात से अनजान थे की पानी अगले दिन सुबह तक भी नहीं आएगा। अब घरों में पानी नहीं होने की वजह से कुछ लोगों ने पड़़ोसी की टंकियों से पानी लिया तो कुछ लोग पीने और खाना बनाने हेतु पानी के लिए बर्तन ले के प्राकृतिक स्त्रोतों की और दौड़े ।वहीं बाजार के आसपास किराए के घरों में रह रहे कई लोगों ने तो बोतल बंद पानी खरीदकर खाना पकाया.
गौरतलब है कि पिछले कई वर्षों से करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी पीने के पानी की समस्या का स्थाई हल नहीं हो रहा है। भरमौर के लोगों केे लिए जो पेयजल टैंक बनाये गए हैं उन फिल्टर बेड से अक्सर गंदला पानी व केंचुए नलों तक पहुंच जाते हैं। जिसकी वजह पेयजल में भंडारण वालेे टैंकों में नाले का पानी डाला जाना व फिल्टर बैड का खराब होना माना जा रहा है.
इस बारे में लोगों का कहना है कि भरमाणी मंदिर स्थित प्राकृतिक जलस्रोत ज्यादा स्वच्छ हैं अगर यहां से पानी की पाईप लाईन स्टोरेज टैंक में डाल दी जाए तो फिल्टर बेड की शायद जरूरत भी नहीं होगी। लेकिन लगता है सिंचाई विभाग के उच्च अधिकारी लकीर के फकीर बने नियम कायदों का हवाला दे कर उपभोक्ताओं का मुंह बंद कर देते हैं.जबिक स्वयं नियमों को ताक पर रखकर वर्षों से लोगों व समाजसेेवियोंं द्वारा की गयी शिकायतों नजरंदाज कर रहे हैं ।
जब नेता या रसूखदार लोग परेशान हो कर शिकायत करते हैं तो विभाग के आधिकारी बिना किसी सूचना के पानी की सप्लाई बंद कर के इन टैंको को साफ करवाने लग जाते हैं। जबकि उन्हेंं पता है कि कुछ दिनों मे टैंक फिर गंदे हो जायेंगे क्योंकि इनमें जो पानी डाला जा रहा है वो नाले का गंदा पानी है।
अगर अधिकारी चाहें तो एक ही दिन में भरमाणी माता मंदिर के पास सवच्छ पानी स्त्रोत से प्लास्टिक की पाइप जोड़ कर समस्या का अस्थायी समाधान कर सकते हैं और १-२ महीनों में स्टील पाइप लाइन बिछवा कर पीने के पानी की समस्या से भरमौर के लोगों को मुक्ति दिला सकते हैं.
वहीं लोगों ने विभाग से अपील की है कि अगर वे पेयजल स्रोतोंं या भंडारों की सफाई या मुरम्मत के लिए पेयजल आपूर्ति बंद कर रहे हों तो कम से कम दो दिन पूर्व सूचना जारी करें ताकि लोग कोई वैकल्पिक समाधान कर सकें.