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…तो राम तुम

मन शिवधनुष की प्रत्यंचा है अभिमान है अहंकार है तोड़ सको तो राम तुम

परसुराम ज्वाला धधक रहे क्रोध की सहज समित कर सुदिश मोड़ सको तो राम तुम

सीता अभिलाषा है आशा है प्यार की परिभाषा है मोहित कर मोहित हो हृदय से जोड़ सको तो राम तुम

राजभवन राजगद्दी राजवैभव भूख हैं तृष्णा हैं माया हैंजाल हैं छोड़ सको तो राम तुम

जंगल है जीवन जीने की आपाधापी है कठिनाइयों की किताब संघर्षों की कापी है बन्दर भालू शेर निशाचर संग घुल-मिल होड़ सको तो राम तुम

चिन्ताएं सागर हैं इच्छाएं युद्ध स्वाभिमान शक्ति है पार कर लड़ सको निचोड़ सको तो राम तुम

रावण पीड़ा है घृणा है पाप का घड़ा है फोड़ सको तो राम तुम ।

डॉ एम डी सिंह,पीरनगर ,गाजीपुर यू पी में  पिछले पचास सालों से ग्रामीण क्षेत्रों में होमियोपैथी  की चिकत्सा कर रहे हैं  

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