रोजाना24,चम्बा : जनजातीय क्षेत्र भरमौर में पिछले दो माह से फसलों के लिए आवश्यक वर्षा नहीं हुई है जिस कारण पूरे उपमंडल में सूखे के हालात पैदा हो गए हैं.एक ओर जहां खरीफ की फसल खेतों में सूख गई है तो वहीं दूसरी ओर इस वर्ष सेब की पैदावार जोकि बहुत कम है,वर्षा न होने के कारण वह भी सिकुुुड़ कर रह गया है.
क्षेत्र की कृषि व बागवान वर्षा पर निर्भर करती है.ऐसे में मानसून की बेरुखी ने कोरोना के इस कठिन हालात में बेरोजगार किसानों बागवानों से पेट की रोटी भी छीनने का प्रयास किया है.किसानों का मानना है कि अभी भी वर्षा हो जाए तो कुछ दालें व आनाज तो पैदा हो सकता है साथ में पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था भी हो सकती है.अगर कुछ दिनों में वर्षा न हुई तो हालात बदतर हो जाएंगे.
वस्तु विषय विशेषज्ञ कृषि विभाग रामलाल का कहना है कि लोगों ने इस वर्ष मार्च माह में लॉकडाऊन के दौरान खेतों के बेहतरीन कार्य कर कृषि योग्य भूमि का भी प्रसार किया था लेकिन मानसून के न बरसने के कारण क्षेत्र की 70 प्रतिशत फसल सूख गई है.अगर यही हालात जारी रहे तो खरीफ की पूरी फसल तबाह हो जाएगी.उन्होंने कहा कि किसान अक्सर मिश्रित फसलें अपने खेतों में उगाते हैं इसिलए उन्हें फसल बीमा का लाभ भी नहीं मिल पाता है.
इसे किसानों की बुरी किस्मत कहें या सरकार की लापरवाही जो करोड़ों रुपये की लागत से कागजी सिंचाई योजनाएं बनाकर लोगों को ‘ऑल इज वैल’ के नारे सुना रही है.