रोजाना24,ऊना : मानसून की दस्तक के साथ सांपों के बाहर निकलने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है तथा सांप के काटने की घटनाएं भी बढ़ती है। यह बात मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रमण कुमार शर्मा ने आज यहां कही। उन्होंने कहा कि सर्पदंश से निपटने के लिए जिला में एंटी स्नेक वेनम (एएसबी) सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सिविल अस्पतालों तथा क्षेत्रीय अस्पताल में उपलब्ध हैं। चौबीसों घंटे सभी स्वास्थ्य संस्थानों में यह वैक्सीन डॉक्टर द्वारा ही लगाई जाती है तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में यह वैक्सीन डे डयूटी में लगाई जाती है। सीएमओ ने कहा कि सांप काटने के उपचार में जरूरी है कि पीड़ित व्यक्ति को आपात चिकित्सा सहायता जल्द मिले। सांप काटे तो संयम रखें, ताकि हृदय गति तेज न हो। हृदय गति तेज होने पर जहर तुरंत ही रक्त के माध्यम से हृदय में पहुंच कर नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए पीड़ित व्यक्ति को शांत रखें और तुरंत एंबुलेंस को कॉल करें ताकि जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता के लिए नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान पहुंचाया जा सके। किसी भी प्रकार की झाड़ फूंक में समय बर्बाद न करें।
सांप के काटने के लक्षण डॉ. रमण ने कहा कि आम तौर पर सांप के काटने का तुरंत पता चल जाता है। इसके काटने पर दंश स्थान पर तीव्र जलन, उल्टी, मिचली, शॉक, अकड़न या कंपकपी, अंगघात, पलकों का गिरना, नजर फटना अर्थात किसी वस्तु का एक स्थान पर दो दिखना, मांसपेशियों में ऐंठन, काटे गए हिस्से में तेज दर्द, हाथ पैरों में झनझनाहट, चक्कर आना, पसीना आना तथा दम घुटना आदि लक्षण हो सकते हैं। ऐसे करें बचाव सीएमओ ने कहा कि सर्पदंश के खतरे से बचने के लिए नंगे पांव या चप्पल पहनकर खेतों व घासनिकयों में कार्य करने से परहेज करें तथा भूमि पर न सोएं। रात को बाहर काम करने से बचें क्योंकि इस समय सांप सबसे ज्यादा सक्रिय होते हैं। इसके साथ ही कुएं या गड्डे में अनजाने में हाथ न डालें तथा जूतों को झाड़कर पहनें। साथ ही अपने घरों के आस-पास ऐसी चीजें न रखें जिसमें सांप आसानी से छुप सकें।