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मानसून में सही खानपान से रह सकते हैं तंदरूस्त – डाॅक्टर प्रीति नन्दा सिब्बल

बीमार होने के बाद दवाई खाकर स्वस्थ होने से बेहतर है बीमारी हुआ ही न जाए.गर्मियों की तेज धूप के बाद सावन की फुहारों का आनंद ही अलग होता है। प्रकृति का सबसे पसन्दीदा मानसून सीज़न अपने यौवन पर है। रिमझिम बारिश ने मौसम को सुहावना बना दिया है लेकिन इस मौसम में बैक्टीरिया की उत्पत्ति से बदहज़मी, फूड पाइज़निंग, अतिसार, वायरल फीवर सहित अनेक संक्रमण मौसमी रोगों को जन्म देते हैं।

मानसून सीज़न में वातावरण में आर्द्रता बढ़ने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिससे मलेरिया टायफाईड, बदहज़मी जैसी अनेक बिमारियां दस्तक दे देती हैं। मौनसून सीज़न में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए आपको अपना खानपान व दिनचर्या में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता रहती है।

उबला जलः बरसात के दिनों में पानी में विद्यमान बैक्टीरिया रोगाणुओं, किटाणुओं को नष्ट करने के लिए पानी को हमेशा उबाल कर पीना चाहिए। सुबह उठते ही एक गिलास गर्म पानी नींबू रस के साथ पीने से शरीर में विद्यमान हानिकारक विषैले तत्व/टाॅक्सिन बाहर आ जाते हैं यह शरीर को डिटाॅक्स करने का सबसे आसान और सस्ता उपाय है। मैडिकल के माहिर मानते हैं कि रोज़ाना प्रातः एक गिलास गर्म पानी के सेवन से आपके शारिरिक अंगों को सक्रिय कर देते हैं तथा आपकी आंतो की मूवमैंट को सुधार देती है। पीने के पानी को उबाल कर पीने से हानिकारक सूक्ष्म कीटाणू तथा अन्य अशुद्धियां नष्ट हो जाती हैं जिससे शरीर में जल जनित रोगों की प्रभावी रोकथाम की जा सकती है। बरसात के मौसम में प्रतिदिन 8-10 गिलास फिल्टरड पानी पीना कतई ना भूलें। आप प्रतिदिन चाय या काॅफी के सेवन की बजाय तुलसी चाय, जैसमीन चाय, ग्रीन चाय, आर्युवैदिक काढ़ा  आदि को सम्मिलत करके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं तथा आपके शरीर को बिमारियों से सुरक्षा कवच प्रदान कर सकते हैं। पानी में अदरक, तुलसी, हल्दी काली मिर्च, दालचीनी मिलाकर इसे अच्छी तरह से उबाल लीजिए तथा इसमें शहद तथा नींबू रस मिलाकर पीने से शरीर   सृदढ़ होता है तथा रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है।

नमक की मात्रा :बरसात के मौसम में भोजन  में नमक की मात्रा कम कर दीजिए क्योंकि ज़्यादा नमक  के सेवन से खून की नसों में सोडियम की मात्रा बढ़ सकती है जिससे आपका ब्लड प्रैशर असमान्य हो जाएगा । हाइपरटैंशन, मधूमेह, दिल के रोगियों को अपने भोजन में नमक की मात्रा को कम करना चाहिए। आप सामान्य नमक की जगह सेंधा नमक प्रयोग करें तो ज़्यादा बेहतर होगा।

मौसमी फल : बरसात के मौसम में मौसमी फलों की बहार आती है। इस सीज़न में जामून, पपीता, सेब, प्लम, अनार, आड़ू, नाशपती के नियमित सेवन से आपके शरीर को पौष्टिक तत्व तथा नमी मिल सकती है जो शरीर को संक्रमण, एलर्जी फोड़े फुंसियों तथा अन्य रोगों से लड़ने की क्षमता को मजबूत करते हैं। मौसमी फलों के सेवन से पहले इन्हें अच्छी तरह धो लें तथा यह सुनिश्चित कर लें कि यह पके तथा खाने के लायक हैं अन्यथा कच्चे फल खाने से आपको नुकसान झेलना पड़ सकता है। बरसात के मौसम में कच्चे सलाद से परहेज़ रखें तो बेहतर होगा लेकिन अगर आप सलाद खाने के शौकीन हैं तो सलाद को अच्छी तरह  से धोना/साफ करना जरूर सुनिश्चित कर लें।

रोड़ साईड चाट व फ्राईड फूड : बरसात के मौसम में सड़क के किनारे रेहड़ी/ठेले पर कटे हुए फल/पानी पूरी, चाट पकौड़ी आदि खाने से परहेज़ करें क्योंकि इन पर वायू प्रदुषण और वातावरण में फैले जिवाणु बैठ जाते हैं जिससे कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अगर आप इन व्यंजनों के शौकीन हैं तो इन्हें अपने घर पर बनाने में प्राथमिकता दें तथा स्वंय और अपने परिवार को इंफैक्शन को सुरक्षित रखें। बरसात के इस मौसम में पकौड़े, समौसे, कचैरी आदि तली हुई खाद्य वस्तुओं से परहेज़ करें क्योंकि इनके खाने से आपको एसिडिटी तथा जिगर की अनेक बिमारियां पकड़ सकती हैं। हमेशा   ग्रिल्ड/तन्दूरी खाद्य पदार्थों का सेवन करें जिन्हें बनाने में तेल या मक्खन कम से कम इस्तेमाल होता हो, बरसात के सीज़न में बेरीज़, पपीता, सूखे मेवे, करेला, टोफू आदि एंटीसेप्टिक तथा एंटीबायटिक खाद्य पदार्थों का उपयोग करना चाहिए तांकि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा हो और मौसमी बिमारियों बचा जा सके।

नींद : हमेशा 8 घण्टे की नींद जरूर लें क्योंकि पर्याप्त नींद लेने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। प्रतिदिन व्यायाम, प्राणयाम, ध्यान करके अपने शरीर तथा मनमस्तिक को हल्का रखें।

(डाॅक्टर प्रीति नन्दा सिब्बल देश की प्रतिष्ठित पौषाहार विशेषज्ञ हैं।)

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